इस्तीफा

आज बिहार में महागठबंधन के भविष्य के लिए बड़ा दिन है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के विधायकों, सांसदों, जिला पदाधिकारियों की बैठक शुरू हो गई है। बिहार सरकार में सहयोगी आरजेडी के प्रमुख लालू यादव और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के यहां सीबीआई छापों के बाद ये बड़ी बैठक हो रही है। सबकी निगाहें महागठबंधन के भविष्य पर टिकी हुई है।

करप्शन से समझौता नहीं-
बैठक से पहले नीतीश कुमार के करीबी संजय झा ने कहा कि नीतीश ने अपने राजनीतिक जीवन में हमेशा जीरो टॉलरेंस ऑन करप्शन की नीति अपनाई है, नीतीश ने कभी इस नीति से समझौता नहीं किया है। उन्होंने कहा कि आगे भी इस नीति से कोई भी समझौता नहीं होगा, चाहे कोई भी व्यक्ति हो।

सोमवार को हुई थी राजद की बैठक-
इससे पहले सोमवार को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने आरजेडी विधायकों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में फैसला हुआ कि तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे। बैठक में राष्ट्रपति चुनावों को लेकर भी चर्चा की गई। देश में मौजूदा हालात पर भी चर्चा की गई।

नीतीश कुमार रविवार को 4 दिन बाद राजगीर से वापस आ गए हैं। मगर नीतीश कुमार की बिगड़ी तबीयत की वजह से सोमवार को आयोजित होने वाले लोक संवाद कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था। नीतीश के राजगीर से पटना लौटने पर बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बुखार से अस्वस्थ रहने के कारण आगामी 10 जुलाई को आयोजित होने वाला लोक संवाद कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है।

आपको बता दें कि लालू यादव पर करप्शन के आरोप और उन पर सीबीआई एवं ईडी की कार्रवाई के बाद जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस का महागठबंधन खतरे में दिखने लगा है। तमाम अटकलों के बीच सोमवार को जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने लालू प्रसाद का खुलकर बचाव किया। उन्होंने लालू यादव और उनके परिवार पर हुए सीबीआई छापों को बदले की कार्रवाई बताया। उन्होंने कहा कि ये सीधे तौर भाजपा के खिलाफ महागठबंधन को आगे बढ़ने से रोकने की कार्रवाई है। लालू के बेटे और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नाम सीबीआई की चार्जशीट में आने के बाद नीतीश कुमार को यह तय करना होगा कि क्या तेजस्वी यादव को कैबिनेट में रहना चाहिए या नहीं।