मुख्‍यमंत्री उमर अब्‍दुल्‍ला

कश्मीर में आतंकवादियों ने अमरनाथ यात्रियों पर हमला किया है। हमले में सात लोगों की मौत हो गई है और 19 जख्मी हुए हैं। आतंकियों ने यात्रियों पर ही हमला नहीं किया बल्कि पुलिस पार्टी को भी निशाना बनाया। आतंकियों ने ये हमला रात 8:20 पर किया। आतंकी मोटरसाइकिल पर सवार थे। अनंतनाग से आगे बंटगू पर श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर आतंकियों ने पुलिस दल पर घात लगाकर अंधाधुध फायरिंग की। इसमें दो यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 5 लोगों की अस्पताल ले जाते वक्त मौत हो गई।

बस के बारे में सुरक्षाबलों ने कहा कि वह काफिले का हिस्सा नहीं थी और न ही अमरनाथ श्राइन बोर्ड में उसका रजिस्ट्रेशन हुआ था। इस वजह से ये आतंकियों का आसानी से निशाना बने। सुरक्षाबलों का कहना है कि हमारे काफिले के साथ जो भी बस या ट्रक में यात्री होते हैं, उनकी सुरक्षा पुख्ता होती है। हमारी कोशिश होती है कि सुबह छह बजे बालटाल से वो निकल जाए और दोपहर 12 बजे तक जवाहर टर्नल को पार कर लें यानी जम्मू इलाके में दाखिल हो जाएं।

पुलिस के अनुसार बस सोनमार्ग बालटाल से आ रही थी। तीर्थयात्री दर्शन करके वापस घर लौट रहे थे। पुलिस ने दावा किया है कि बस ड्राइवर ने नियमों का उल्लंघन किया। नियमानुसार शाम 7 बजे के बाद किसी भी यात्रा वाहन को हाईवे पर जाने की अनुमति नहीं है।

जम्‍मू कश्‍मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री उमर अब्‍दुल्‍ला ने ट्वीट कर इस हमले की निंदा की। उन्‍होंने इसे बेहद दुखदाई समाचार बताते हुए कहा कि ‘इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है, पीड़ित परिवारों के प्रति मेरी सहानुभूति है और घायलों के लिए मैं दुआ करता हूं।’

जम्‍मू-कश्‍मीर के मंत्री नईम अख्‍तर ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा, ‘यह कश्‍मीर के इतिहास पर लगा काला धब्‍बा है। ऐसा पहली बार हुआ है जब यात्रियों को निशाना बनाया गया है। आतंक के खिलाफ अभियान जारी रहेगा।’

पवित्र अमरनाथ यात्रा की शुरुआत कड़ी सुरक्षा के बीच 29 जून को पहलगाम और बालटाल दोनों ही रोस्‍तों से हुई थी। उत्तरी कश्‍मीर के बालटाल कैंप के रास्‍ते से अमरनाथ गुफा की ओर जाने के लिए 6000 से ज्‍यादा श्रद्धालुओं को इजाजत दी गई थी, जबकि दक्षिण कश्‍मीर के पहलगाम के परंपरागत रास्‍ते से करीब 5000 यात्री गुफा की ओर चले थे।

इस वर्ष करीब 1.2 लाख श्रद्धालुओं ने इस यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है। 45 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा के लिए सुरक्षा के इंतजाम के तहत सैटेलाइट ट्रैकिंग सिस्‍टम, ड्रोन का इस्‍तेमाल, मोबाइल बंकर वाहन और रोड ओपनिंग पार्टी की जम्‍मू से पहलगाम और बालटाल जाने वाले पूरे रास्‍ते के लिए व्‍यवस्‍था है।

आपको बता दें कि सुरक्षा एजेंसियों ने पहले ही अमरनाथ यात्रा पर आतंकी खतरे को लेकर आगाह किया था। पिछले साल हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से ही घाटी में हालात खराब हैं। इसी साल अमरनाथ यात्रा के दौरान वानी की पहली बरसी भी पड़ी थी। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमरनाथ यात्रा में जबरदस्त सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों के करीब 80 हजार जवानों को यात्रा की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है, इसके बावजूद आतंकी हमला करने में सफल हो गए। ये सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती है क्योंकि अभी यात्रा खत्म नहीं हुई है।