Brother and Sister

हरिद्वार में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। एक फैक्ट्री प्रबंधक के दो बच्चे खुद को साढ़े तीन साल से कमरे में बंद किए हुए थे। बच्चों के माता-पिता का कहना है कि ये पढ़ना नहीं चाहते थे, जोर दिया तो कमरे में खुद को बंद कर लिया। दोनों कमरे में ही भोजन मांगकर खाते हैं। ये रात को जागते हैं और दिन में सोते हैं।

एसपी सिटी ममता बोहरा को किसी ने फोन कर इस बात की सूचना दी। इस पर एसपी ने हेल्पलाइन प्रभारी कविता रानी को मौके पर भेजा। कविता ने बताया है कि गृहस्वामी सिडकुल में एक फैक्ट्री में प्रबंधक हैं और पत्नी गृहणी हैं। उनका एक बेटा और बेटी हैं। कविता के मुताबिक उन्होंने बच्चों के मां-बाप से इस बारे में पूछा तो चौका देने वाला खुलासा हुआ है।

उन्होंने पुलिस की टीम को बताया कि दोनों भाई-बहन पढ़ाई नहीं करना चाहते थे, जिसके चलते दोनों ने खुद को कमरे में बंद कर लिया। उन्होंने बताया है कि वर्ष 2013 के दिसंबर से दोनों भाई-बहन कमरे में अकेले रहते हैं। भूख लगने पर मां को आवाज देकर खाना मांग लेते हैं। कमरे से टॉयलेट और बाथरूम अटैच है।

पुलिस टीम ने दोनों भाई-बहन से दरवाजा खोलने को कहा, मगर उन्होंने दरवाजा नहीं खोला। पुलिस की टीम ने दरवाजा तोड़ने की चेतावनी दी, तो उन्होंने दरवाजा खोल दिया। दोनों को देखकर पुलिस टीम दंग रह गई। टीम ने पाया कि भाई-बहन के नाखून व बाल बढ़े हुए हैं। बाल व नाखून बेहद गंदे हैं। दोनों लंबे समय से नहाए भी नहीं हैं। महिला हेल्पलाइन प्रभारी ने भाई-बहन से बात की और परिजनों के साथ रहने की हिदायत दी।

हेल्पलाइन प्रभारी कविता रानी ने बताया है कि किशोर ने आठवीं की कक्षा की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी, जबकि लड़की बालिग हो चुकी है। उसने कक्षा दसवीं की पढ़ाई पूरी कर ली थी। कमरे से और उनके कपड़ों से बहुत बदबू आ रही थी। एसपी सिटी ममता बोहरा ने बताया कि परिजनों को सलाह दी गई है कि वे बच्चों की काउंसिलिंग करवाएं।

दून मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सक डॉ. सोना कौशल का कहना है कि यह मानसिक रोग के लक्षण हैं। सिर्फ पढ़ाई का भय नहीं हो सकता। बच्चों की जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।