Hyperloop one

दुनिया के 26,00 शहरों में से भारत के चार शहरों को Hyperloop प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। जनवरी में कंपनी ने ग्लोबल चैलेंज के अंतर्गत दुनिया भर में Hyperloop के लिए रूट की पहचान की गई है, जहां पर इसका सेटअप किया जा सकता है। इसके लिए पहले 2600 जगहों को चुना गया है। जिसके बाद सेमीफाइनल के रूप में सिर्फ 17 देशों को चुना गया है। आखिरकार अब कंपनी ने पांच देशों को फाइनल किया है।

क्या है Hyperloop?
आने वाले समय में ट्रेन के सफर के तरीके और समय में काफी बदलाव आएगा। ये संभव होगा Hyperloop तकनीक के द्वारा। Hyperloop एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा लंबी दूरी को चंद मिनटों में तय किया जा सकता है। अमेरिकी कंपनी टेस्ला और स्पेस एक्स ने मिलकर इसकी शुरूआत की है।

Hyperloop में एक सील की ट्यूब की सीरीज होती है, जिसके द्वारा किसी भी घर्षण और हवा के रूकावट के बिना लोगों को एक जगह से दूसरी जगह की यात्रा कराई जा सकती है। इसमें ट्रेन जैसे ही लोगों के लिए जगह होगी।

Hyperloop One ने काफी पहले एक कॉन्टेस्ट आयोजित किया था, जिसमें दुनिया भर के जगहों को Hyperloop के लिए चुना जाना था। अब कंपनी ने 10 जगहों को चुना है, जहां दुनिया के पहले हाइपरलूप ट्रैक बनाए जा सकते हैं।

पांच देशों के इन 10 जगहों में भारत भी शामिल है। इसके साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, मैक्सिको और कनाडा जैसे देश भी इसमें सम्मिलित हैं, जहां पर Hyperloop का ट्रैक तैयार किया जा सकता है। गौरतलब है कि 26 आवेदन में सिर्फ 10 जगहों को चुना गया है।

कंपनी ने पहले 2600 जगहों को चुना, जहां हाइपरलूप ट्रैक लगाना संभव हो और आखिरकार उनमें से 10 को चुना गया है। इस कॉन्टेस्ट में दुनिया भर के वैज्ञानिक, इंजीनियर और इनोवेटर्स ने लूप्स के लिए अपने आवेदन दिए हैं। लूप उस टनल को कहा जाता है, जिसके जरिए Hyperloop One अपने पॉड्स भेजेगा जिसमें यात्री होंगे।

जिन 5 देशों के 10 जगहों को इसके लिए चुना गया है, अब इनके प्रतिनिधि और टीम अब Hyperloop One की टीम के साथ काम करेंगी और इन 10 जगहों पर ट्रैक बनाने के लिए गहन अध्यन करेंगी क्योंकि इस प्रोपोजल को असलियत में लाने के लिए काफी कुछ किया जाना अभी बाकी है।

आप Hyperloop की तेजी का अंदाजा इस बात से ही लगा सकते हैं कि यह हवाई जहाज और बुलेट ट्रेन से भी तेज हो सकता है। यदि यह कॉन्सेप्ट असल जिंदगी में आ गया, तो पैंसेंजर ट्यूब में पॉड के सहारे यात्रा कर सकते हैं। इस पॉड में मैग्नेटिक लेविएशन और कम फ्रिक्शन यूज किया जाएगा, जिससे इसका मूवमेंट काफी तेज होगा।

हाल ही में दूसरी बार कॉन्सेप्ट के तौर पर एक रेगिस्तान में हाइपरलूप की टेस्टिंग की गई है। भारत में हाइपरलूप के अधिकारी लगातार सरकार से बातचीत कर रहे हैं ताकि यहां ट्रैक लगाने की इजाजत मिल सके। कंपनी के अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि भारत सरकार इसके लिए इजाजत दे देगी। यदि इजाजत मिली, तो वो यहां पर डेमोंस्ट्रेशन के लिए एक सेटअप तैयार करेंगे।

भारत में यदि यह सेटअप ट्रैक लगाया गया और सफल परीक्षण हुआ, तो बंगलुरू से चेन्नई की दूरी सिर्फ 23 मिनट में तय की जा सकेगी। आपको बता दें कि चेन्नई से बंगलुरू की दूरी 334 किलोमीटर की है।

मुंबई से चन्नई की दूरी 1102 किलोमीटर है और हाइपरलूप प्रोजेक्ट से यह सिर्फ 63 मिनट में तय की जा सकेगी। सबसे पहले 2012 में टेस्ला के फाउंडर एलोन मस्क ने इसका कॉन्सेप्ट रखा और तब से अभी तक इसका डेवलपमेंट जारी है।

टेस्ला के अधिकारी इसे भारत में लाना चाहते हैं और उन्होंने डेमोंस्ट्रेशन के जरिए बताया है कि दिल्ली से मुंबई की दूरी को पैसेंजर्स सिर्फ घंटे भर में पार कर सकते हैं। यह हवाई जहाज से की जाने वाली यात्रा से तेज और उसके मुकाबले थोड़ा सस्ता भी होगा। हालांकि सरकार ने अभी इसके लिए इजाजत नहीं दी है।

एक साल तक कंपनी ने हाईपरलूप का लो स्पीड टेस्ट किया, मगर आखिरकार इसकी टेस्टिंग स्पीड से की गई है। 29 जुलाई को हाईपरलूप वन के प्रोटोटाइप पॉड को 500 मीटर लंबे टेस्ट ट्यूब में छोड़ा गया था। टेस्टिंग के दौरान Hyperloop One ने लगभग 309 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ी। कंपनी का दावा है कि यह अब तक का सबसे तेज हाईपरलूप टेस्ट है।

कुछ महीने पहले Hyperloop One का पहला परीक्षण किया गया था। कंपनी आगे भी इसकी टेस्टिंग जारी रखेगी। कंपनी ने एक रूट प्लान किया है और इसके अनुसार अबु धाबी से दुबई के बीच इसे 804 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जाए। उदाहरण के रूप में 160 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 12 मिनट में तय की जा सकेगी। यानी यदि भारत में इसकी शुरुआत हुई, तो दिल्ली से आगरा आधे घंटे से भी कम में पहुंच सकते हैं।