पाकिस्तान

पाकिस्तान राजनीतिक और आर्थिक तौर पर चीन के अधीन हो जाएगा उसकी हालत भी ग्रीस जैसी हो जाएगी। भारत की संप्रभुता के लिए चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर(सीपीईसी) खतरा पैदा कर सकता है। पाकिस्तान पर इस साल जून तक बाह्य ऋण बढ़ कर 79 अरब डालर हो जाएगा। डेली टाइम्स ने एजेंसी के हवाले से कहा कि ऋण बढ़ ने से पाकिस्तान वित्तीय स्थिति कमजोर होगी और कर्ज वहन करने में उसे दिकत होगी।

पाकिस्तान आर्थिक तौर पर पूरी तरह से चीन के अधीन हो जाएगा। पाकिस्तान अर्थशास्त्रियों का दावा है। कि चीन के वन बेल्ट वन रोड (OBOR) प्रोजेक्ट के तहत सीपीईसी पाकिस्तान को राजनीतिक और आर्थिक तौर पर चीन के अधीन कर देगा। अर्थशास्त्री कैसर बंगाली ने दावा किया है। पाकिस्तान अपने कर्ज को चुकाने के लिए नए कर्ज के चक्र में फंस गया है। अब उसकी हालत भी ग्रीस जैसी हो जाएगी।

चीन सरकार ने पाकिस्तान के सीपीईसी में अपने निवेश को बढ़ाने का फैसला लिया है। पाकिस्तान के सामने उच्च सरकारी ऋणका बोझ सामाजिक बुनियादी ढांचा व कमजोर भौतिक कमजोर बाह्य भुगतान तथा उच्च राजनीतिक जोखिम है। चीन ने इस प्रोजेक्ट में पाकिस्तान में निवेश को 46 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 62 बिलियन डॉलर कर दिया है। चीन सरकार पाकिस्तान के ग्वदर पोर्ट को जिनजियांग प्रांत से जोड़ने के लिए रेलवे इंडस्ट्रियल पार्क और रोड नेटवर्क तैयार करेगा।

स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान द्वारा जारी बाह्य ऋण पहले के पूर्वानुमान से कहीं अधिक है। जुलाई-जून 2016-17 के आखिर तक बाह्य ऋण 79 अरब डालर हो जाएगा इसमें बाहरी क्षेत्र का हिस्सा 77.7 अरब डालर है।

केंद्रीय बैंक के अनुसार बाह्य ऋण व देनदारी 74.2 अरब डालर दिसंबर 2016 के आखिर तक हो गई है। पाकिस्तान सीपीईसी के तहत होने वाले निवेश से अब उस स्थिति में है। उसे अब ऋण अदा करने के लिए और ऋण की जररूत है। अब यह स्थिति ही उसे ग्रीस बनाने के लिए पर्याप्त है।