हिंदू धर्म में कई रिति-रिवाज, परंपराएं है जिसे लोग बहुत ही शलीनता के साथ मानते है लेकिन आज की युवा पीढी़ इन रीति-रिवाज को नहीं मानते है उन्हें लगता है कि यह सब अंधविश्वास है। इनका कोई फायदा नहीं है। आज हम आपको एक ऐसे ही रिवाज के फायदे के बारे में बताएंगे।

आपने भी अक्सर अपने बड़े बुजुर्गों को खाना खाने से पहले थाली के चारों तरफ तीन बार पानी छिड़कते हुए देखा होगा। इसके साथ ही कुछ लोग मंत्रोच्‍चार भी करते थे। उत्‍तर भारत में इसे चित्र आहति और तमिलनाडू में परिसेशनम के नाम से जाना जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता था, क्‍योंकि ऐसा करके हमारे बुजुर्ग अन्‍न के प्रति सम्‍मान प्रकट करते थे। यही नही इसके पीछे वैज्ञानिक कारण और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी वजहें भी हैं, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं।

कुछ लोग चित्र आहुति के समय मंत्रोचार भी करते हैं। योग और आयुर्वेद विशेषज्ञ रवि बताते हैं कि लोग इसे एक धार्मिक क्रिया मानते हैं लेकिन यह उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। जानिए क्यों था इसका महत्व।

दरअसल, पुराने जमाने में ज्‍यादातर लोगों के मकान कच्‍चे होते थे, इसलिए घर की फर्श भी कच्ची होती थी। इसके अलावा लोग जमीन पर बैठकर ही खाना खाते थे, जिनके पास थाली होती थी वह थाली में खाते थे, जिनके पास कुछ नही होता था वह केले के पत्‍तों में खाना खाते थे। अगर खाना खाते समय कोई बगल से गुजरे तो फर्श की धूल उड़कर भोजन में ना पड़े इसलिए लोग थाली के चारो तरफ पानी छिड़कते थे। ऐसा करना सेहत की दृष्टि से भी बहुत महत्‍वपूर्ण थी। आज भी तमाम लोग फर्श पर बैठकर भोजन करते हैं, खासकर गांवों में अभी भी ऐसा करने का प्रचलन है। ऐसे में खाने में धूल मिट्टी जाना स्‍वाभाविक है। ऐसे में अगर आप भी थाली के चारों तरफ पानी छिड़कते हैं तो इससे आपके भोजन में धूल नही जाएगा, जिससे आप बैक्‍टीरिया से बचे रहेंगे जिससे आप बीमारियों और किसी प्रकार की एलर्जी की समस्‍या से पीड़ित होने से बच जाएंगे। विशेषकर यह तकनीक रात में काफी काम आती थी क्योंकि तब लोगों को कम रोशनी की वजह से ज़मीन पर चलनेवाले कीड़े-मकोड़े दिखायी नहीं पड़ते थे।