हरिद्वार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले ओबीसी सर्वेक्षण कराने वाले एकल सदस्यीय समर्पित आयोग के लिए अब नगर निकायों के सर्वेक्षण में वार्डों का परिसीमन रुकावट बन रहा है। मामले में आयोग ने जल्द सभी दुश्वारियां दूर करने को कहा है, जिसके तहत शहरी विकास निदेशालय ने परिसीमन की अधिसूचना जारी करने में तेजी शुरू कर दी है। कुछ निकायों के सीमा विस्तार की प्रक्रिया भी की जा रही है।

दरअसल, प्रदेश में इसी साल नगर निगमों, निकायों के चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक, सभी निकायों में ओबीसी सर्वेक्षण का काम चल रहा है। इसे लेकर फरवरी में नैनीताल क्लब में पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीएस वर्मा के एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की बैठक हुई थी, जिसमें निकायों के सर्वेक्षण से जुड़े सभी पहलुओं पर चर्चा की गई।

चर्चा में प्रमुखतौर पर यह तथ्य सामने आया कि प्रदेश में तमाम निकाय ऐसे हैं, जिनके वार्डों का परिसीमन नहीं हुआ है। ऐसे में वहां ओबीसी सर्वेक्षण का काम नहीं हो पा रहा है। आयोग ने शहरी विकास निदेशालय को निर्देश दिए हैं कि जल्द परिसीमन पूरा करके पूरी जानकारी आयोग को उपलब्ध कराई जाए।

मामले में शहरी विकास निदेशक नवनीत पांडे का कहना है कि ज्यादातर नए निकायों में परिसीमन की समस्या है। इसके लिए पिछले 10 दिन में कई निकायों के परिसीमन की अधिसूचना जारी की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि कुछेक निकाय ऐसे हैं, जिनका सीमा विस्तार नहीं हो पाया है। इसके लिए भी संबंधित जिलों के डीएम को पत्र भेजा गया है। सीमा विस्तार होने के बाद परिसीमन होगा। फिर सर्वेक्षण का काम हो सकेगा।

जिलों से सहयोग न मिलने पर आयोग अध्यक्ष नाराज

बैठक में यह मुद्दा भी प्रमुखता से उठा कि ओबीसी सर्वेक्षण के मामले में जिलों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है। शासन स्तर से जिलाधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं कि वह जिले में कार्यरत विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ मिलकर सर्वेक्षण कराएं। इस पर आयोग के अध्यक्ष ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि अभी तक शहरी विकास व पंचायती राज विभाग के कर्मचारियों के अलावा विभिन्न विभागों के कार्मिकों, आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए मानदेय आदि की व्यवस्था भी तय नहीं की गई है।

सर्वे के बाद ही होगा निकायों का चुनाव

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत राज्य के सभी निकायों में ओबीसी का सर्वेक्षण ट्रिपल टेस्ट के माध्यम से हो रहा है। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट आने के बाद ही सरकार निकायों में चुनाव करा सकती है। रिपोर्ट के आधार पर ही तय होगा कि किस निकाय में ओबीसी को कितना आरक्षण मिलेगा।