केदारनाथ धाम में दर्शन के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानियां न हो इसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं। इन दिनों पैदल मार्ग से बर्फ हटाने का कार्य जोरों पर किया जा रहा है। सुलभ इंटरनेशल ने सोनप्रयाग और गौरीकुंड में शौचालयों का निर्माण शुरू कर दिया है। यहां अलग-अलग स्थानों पर कुल 60 शौचालय बनाए जा रहे हैं।

गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर छोटी लिनचोली से बड़ी लिनचोली के कुबरे और हथनी गदेरा में पसरे हिमखंडों को काटकर रास्ता बनाया जा रहा है। यहां 10 से 15 फीट लंबे और छह फीट तक ऊंचे हिमखंड हैं जिन्हें काटने में एक सप्ताह से अधिक समय लग सकता है। रास्ता दुरुस्त होते ही घोड़ा-खच्चरों से केदारनाथ तक जरूरी सामग्री की सप्लाई की जाएगी।

जिलाधिकारी ने बताया कि डीडीएमए से बर्फ सफाई के कार्य की प्रतिदिन रिपोर्ट ली जा रही है। कार्यदायी संस्था की ओर से 25 से अधिक मजबूर लगाए गए हैं। बृहस्पतिवार को मजदूरों ने कुबेर व हथनी गदेरा में पसरे हिमखंड को काटने का काम शुरू किया।

यहां पर चार फीट चौड़ाई में बर्फ काटी जा रही है, जिससे आने वाले दिनों में घोड़ा-खच्चर व पैदल आवाजाही में कोई दिक्कत न हो। जिला आपदा प्रबंधन-प्राधिकरण के अवर अभियंता सुरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि एक सप्ताह में दोनों हिमखंड को काटकर रास्ता तैयार कर दिया जाएगा।

बता दें कि इस वर्ष केदारनाथ की यात्रा 25 अप्रैल से 15 नवंबर तक 205 दिन (साढ़े छह माह से अधिक) संचालित होगी। इससे पूर्व वर्ष 2020 में यात्रा 202 दिन तक चली थी। कोरोना संक्रमण के चलते इस दौरान सिर्फ 2 लाख 42 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर पाए थे।

16/17 जून 2013 की आपदा ने केदारनाथ का भूगोल बदलकर रख दिया था। राहत व बचाव कार्य के उपरांत लगभग ढाई माह बाद 11 सितंबर 2013 को केदारनाथ में पुनः पूजा-अर्चना शुरू हुई। इसके बाद वर्ष 2014 को यात्रा तो चली।

आपदा का खौफ यात्रियों के मन में बना रहा और पूरे यात्राकाल में 48 हजार श्रद्धालु पहुंच सके। लेकिन वर्ष 2015 से केदारनाथ की यात्रा पटरी पर लौट आई। इसके बाद, प्रतिवर्ष यात्रा ने नए आयाम स्थापित किए हैं।