आत्‍महत्‍या

बक्सर: डीएम मुकेश कुमार पांडेय ने आत्‍महत्‍या जीवन से निराश होकर की है। डीएम मुकेश कुमार पांडेय को 2012 मे सिविल सर्विसेज की परीक्षा में 14वां रैंक मिला था।

लंबे समय तक एम्‍स मे साइक्‍लोजिस्‍ट रहे डॉ. रामतीरथ अग्रवाल कहते है कि पैसे और ओहदे मे बड़े लोग कभी स्‍वीकार नहीं करते कि उन्‍हें कुंठा है। अंतर्वेदना है जबकि उनके अंदर ये चीज होती है। किसी और के बराबर होने की हो चाहे कुछ और पाने के लिए हो या फिर पारिवारिक कलह हो।
उन्‍हें अंदर-अंदर यह कुंठा परेशान करती रहती है। स्‍टेटस की वजह से वह किसी से अपने मन की बात नही करते। डॉ. रामतीरथ अग्रवाल कहते है कि वे पैसा होते हुए भी जिंदगी से सामंजस्‍य स्‍थापित नही कर पाते और उनकी आकांक्षाएं उन्हें डिप्रेशन मे ले जाती है।

डॉ. रामतीरथ अग्रवाल कहते है कि लोगो मे सहज रहने और संघर्ष करने का माद्दा खत्‍म हो रहा है 90 फीसदी लोग फैमिली प्रॉब्‍लम से दुखी है। उन्‍हें संवादहीनता खोखला कर रही है। कई बार उन्‍हें ऐसे मे जिंदगी बेमानी लगती है जब ऐसा होता है तभी लोग आत्‍महत्‍या का कदम उठाते है।

डॉ. रामतीरथ अग्रवाल के अनुसार हमे मोटीवेशनल किताबें पढ़ने की जरूरत है। क्रिएटिव काम करना चाहिए। समस्‍या कोई भी हो अपने प्रिय लोगों और परिजनों से शेयर करे। जिंदगी में किसी बात को लेकर द्वंद चल रहा हो तो साइक्‍लोथेरेपी ले काउंसिलिंग करवाएं।