अजीत डोभाल

लगातार भारत की ओर आक्रामक रुख अपना रहा चीनी सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अब सीधे तौर पर एनएसए अजीत डोभाल को निशाने पर लिया है। अखबार ने लिखा है कि चीन और भारत के बीच चल रहे डोकलाम विवाद के पीछे वह ही मुख्य कर्ता हैं। अखबार ने लिखा है कि चीनी सेना और भारतीय सेना में जो विवाद चल रहा है, इसके पीछे डोभाल ही हैं, वहीं भारतीय मीडिया इस तरह का माहौल बना रहा है कि जैसे उनकी यात्रा से सब ठीक हो जाएगा। गौरतलब है कि अजीत डोभाल 27 जुलाई को ब्रिक्स की बैठक में हिस्सा लेने बीजिंग जाएंगे।

ग्लोबल टाइम्स में लिखा है कि यदि भारत ऐसा सोचता है कि डोभाल की यात्रा से बीजिंग मान जाएगा, तो ये बिल्कुल गलत है। बॉर्डर का मुद्दा सुलझाने के लिए डोभाल की यात्रा का समय ठीक नहीं है, इसमें भारत की इच्छा के अनुसार कुछ नहीं होगा। अखबार के ये लेख ऐसे समय में आया है, जिस समय चीन की ओर से इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया गया है। सोमवार को ही पीएलए की ओर से इस मुद्दे पर कड़ा बयान आया था। जिसमें कहा गया था कि पहाड़ को हिलाना मुश्किल है, पर चीनी सेना को हिलाना नामुमकिन है।

सोमवार को चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि चीनी एनएसए और अजीत डोभाल में बातचीत हो सकती है, मगर इसके साथ ही उन्होंने डोकलाम मुद्दे पर कोई सकारात्मक बात होने की आशंका जताई थी। इसमें कहा गया है कि भारत का बॉर्डर से अपनी सेना को हटाना ही दोनों देशों में अच्छी बातचीत का एक मात्र कारण है। उन्होंने कहा है कि बीजिंग का ये दायित्व नहीं है कि वह दिल्ली के साथ बात करे और सेना हटाने या सड़क निर्माण रोकने की अपील करे।

चीन की ओर से भारत के साथ इस मुद्दे पर तब तक कोई बात नहीं की जाएगी, जब तक भारत अपनी सेना नहीं हटा लेता है। अखबार ने लिखा है कि ब्रिक्स में होने वाली बैठक एक रुटीन बैठक है, यह चीन-भारत के बॉर्डर मसले को सुलझाने की सही जगह नहीं है। 1962 की जंग का उदाहरण देते हुए अखबार ने लिखा है कि यदि भारत ने अपनी सेना नहीं हटाई, तो चीन इस पर कड़ा एक्शन लेगा।

लेख में कहा गया है कि चीनी सेना इतने कड़े एक्शन ले सकती है, जो भारतीय सरकार और सेना सोच भी नहीं सकती हैं। हमें नहीं लगता कि भारत चीन के साथ सैन्य संघर्ष के लिए तैयार है। यदि वह इस रास्ते को चुनता है, तो चीन अपनी रक्षा करने के लिए पूरी तरह सक्षम है, दिल्ली को इसके लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।