Sharad Yadav and Nitish Kumar

पटना : चुनाव आयोग के फैसले से जदयू के पूर्व अध्यक्ष व बागी नेता शरद यादव को काफी बड़ा झटका लगा है। मंगलवार को चुनाव आयोग ने जदयू के बागी नेता शरद यादव के ‘असली’ जदयू होने के दावे वाली याचिका को खारिज कर दिया है। इस संबंध में चुनाव आयोग का कहना है कि शरद यादव अपने दावे के पक्ष में कागजात या दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा सके, जिससे माना जा सके कि वह जिसे ‘असली’ जदयू मानते हैं, वही ‘असली’ है और उन्हें ही पार्टी का चुनाव चिह्न आवंटित किया जाना चाहिए।

आयोग के इस निर्णय से स्पष्ट हो गया है कि नीतीश कुमार गुट ही ‘असली’ जदयू है। वहीं, पार्टी सूत्रों के अनुसार जदयू अब राज्यसभा के सभापति के पास जायेगा और शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता को खत्म करने के लिए पार्टी के पक्ष में चुनाव आयोग के फैसले के प्रति सौंपेगा।

क्या है मामला-
JDU के पूर्व अध्यक्ष व बागी नेता शरद यादव ने अपने गुट को ‘असली’ जदयू होने का दावा पेश करते हुए चुनाव आयोग से मान्यता देने और चुनाव चिह्न आवंटित करने की अपील की थी। इसके बाद चुनाव आयोग की ओर से दावे के पक्ष में दस्तावेज सौंपने के लिए कहा गया था। इसके बाद JDU की ओर से नीतीश गुट के नेताओं ने चुनाव आयोग के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखा था। इन लोगों ने कागजात सौंपते हुए बताया कि राज्यसभा के दो सांसदों को छोड़ कर दोनों सदनों के सभी सांसद, सभी विधायक, विधान पार्षद, पूरी राष्ट्रीय परिषद और राष्ट्रीय कार्यसमिति नीतीश कुमार की अगुवाई वाले जदयू के साथ है। शरद यादव के पास न तो कोई दस्तावेज है और न ही कोई आदमी। इसी आधार पर चुनाव आयोग ने अपना फैसला दे दिया।