नई दिल्ली, 8 जून 2021

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पिछले महीने कोरोना वायरस के वैरिएंट डेल्टा (कोरोना वायरस का नया प्रकार) को लेकर चिंता जताई थी और इसे वीओसी के रूप में वर्गीकृत किया था। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अल्फा वैरियंट जो यूनाइटेट किंगडम में मिला था उसकी तुलना में डेल्‍टा अधिक प्रभावशाली है। कोरोनावायरस के डेल्टा वैरियंट – को B.1.617.2 के रूप में पहचाना जाता है, जिसे अब तक का सबसे संक्रामक बताया जा रहा है। महामारी की दूसरी लहर में कोविड -19 मामलों में वृद्धि के पीछे इस प्रकार को मुख्य कारण पाया गया। रिपोर्टों में कहा गया है कि दुनिया भर के डॉक्टर अब यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या भारत में पाया गया डेल्टा वैरियंट भी सबसे गंभीर है।

मरीज में दिख रहे नए लक्षण, चिंता का विषय
डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित कोविड -19 रोगियों में कुछ असामान्य लक्षण जैसे सुनने की दुर्बलता, गंभीर गैस्ट्रिक अपसेट और रक्त के थक्के, गैंग्रीन जैसी समस्‍याएं हो रही हैं। पिछले महीने न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, अल्फा के साथ, अन्य वेरिएंट, बीटा और गामा – पहले क्रमशः दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में पाए गए थे – इस तरह के बहुत कम या कोई लक्षण नहीं थे।

डेल्टा वैरिएंट अल्फा वैरिएंट की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक संक्रामक
60 से अधिक देशों से डेल्टा वैरिएंट की सूचना मिली है। यूके में, डेल्टा संस्करण पहले की तुलना में कोविड -19 रोगियों को अस्‍पताल में भर्ती होना पड़ता है। । कुछ विशेषज्ञों को संदेह है कि कोविड -19 टीकों ने भी डेल्टा वैरिंएट के खिलाफ प्रभावशीलता कम कर दी है, जिसके परिणामस्वरूप उच्च जोखिम है।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार के एक पैनल के एक अध्ययन से पता चला है कि डेल्टा वैरिएंट अल्फा वैरिएंट की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक संक्रामक है। कुछ रिपोर्ट के अनुसार , Sars-2 वैरिएंट, B.1.617.2, उस तबाही के पीछे प्रेरक शक्ति है जो भारत में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान देखी गई थी।

रक्त के थक्कों के कारण मरीज की बिगड़ती हालत
डॉक्टरों और चिकित्सा शोधकर्ताओं का यह भी मत है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों में वृद्धि रक्त के थक्कों के कारण भी थी, जो किसी संक्रमित व्यक्ति की छाती में जमाव से संबंधित समस्याओं के किसी भी पिछले इतिहास के बिना डेल्टा वैरियंट शुरू हो गया था। डॉक्टरों ने आंतों की सप्‍लाई करने वाल रक्‍त वाहिकाओं में थक्के बनने के उदाहरणों का भी पता लगाया है, जिससे रोगियों को पेट दर्द का अनुभव होता है। मुंबई के कार्डियोलॉजिस्ट गणेश मनुधाने ने कहा, “मैंने पिछले साल पूरे साल तीन से चार मामले देखे, और अब यह एक सप्ताह में एक मरीज है। हमें संदेह है कि यह नए वायरस वैरिंएट के कारण हो सकता है।