नई दिल्ली, 23 मार्च 2021

भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच सिंधु नदी जल समझौते पर बातचीत नई दिल्ली में शुरू हो गई है। करीब ढाई साल के बाद दोनों देशों की बातचीत होगी। इससे पहले भारत-पाकिस्तान तनाव और कोरोना महामारी की वजह से ये बैठक नहीं हो पा रही थी। बैठक में हिस्सा लेने के पाकिस्तान के आठ अधिकारी भारत आए हैं और कल तक ये बैठक चलने वाली है।

भारत-पाकिस्तान के बीच यही वो जल समझौता है, जिसे पुलवामा हमले के बाद तोड़ने की मांग की जा रही थी। भारत में मांग की जा रही थी कि भारत सरकार इस समझौते को तोड़ते हुए पाकिस्तान को पानी देना बंद कर दे। हालांकि, इस समझौते को तोड़ना भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए आसान नहीं है।

सिंधु जल समझौते में क्या है?

सिंधु जल समझौते पर 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। समझौते के मुताबिक पूर्वी हिस्से की तीनों नदियों रावी, ब्यास और सतलज पर भारत का अधिकार है। इसके बदले भारत पश्चिमी हिस्से के तीनों नदियों सिंधु, चेनाब और झेलम के जल को बेरोक-टोक पाकिस्तान में बहने देगा।

समझौते के मुताबिक भारत पश्चिमी हिस्से की नदियों के जल का भी इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन इस तरह से कि पाकिस्तान को उससे कोई नुकसान न हो। भारत उन नदियों के पानी का घरेलू इस्तेमाल और सिंचाई और बिजली पैदा करने के लिए भी कर सकता है, बशर्ते वह समझौते के मुताबिक हो।