Morarji-Desai

मोरारजी देसाई भारत के स्वाधीनता सेनानी और देश के छ्ठे प्रधानमंत्री थे। वह प्रथम प्रधानमंत्री थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बजाय अन्य दल से थे। उनकी आज पुण्यतिथि है। इस मौके पर आज आपको बताते हैं इनसे जुड़ी कुछ खास बातें…

1.) मोरारी जी देसाई एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ एवं पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ से सम्मानित किया गया था।

2.) प्रधानमंत्री बनने से पहले वो भारत सरकार में उप-प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रलयों का कारभार संभल चुके थे। मोरारजी बॉम्बे राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके थे।

3.) मोरारजी देसाई 81 वर्ष की आयु में प्रधानमंत्री बने थे। इसके पहले उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री बनने की कोशिश की थी। मगर असफलता हाथ लगी, मगर ऐसा नहीं हैं कि मोरारजी प्रधानमंत्री बनने के काबिल नहीं थे।

4.) मोरारजी देसाई मार्च 1977 में देश के प्रधानमंत्री बने, मगर प्रधानमंत्री के रूप में इनका कार्यकाल पूर्ण नहीं हो पाया। चौधरी चरण सिंह से मतभेदों के चलते उन्हें प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।

प्रारंभिक जीवन-

मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी 1896 को गुजरात के भदेली नामक स्थान पर ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता रणछोड़जी देसाई भावनगर (सौराष्ट्र) में एक स्कूल अध्यापक थे। वह अवसाद (निराशा एवं खिन्नता) से ग्रस्त रहते थे, उसके बाद उन्होंने कुएं में कूद कर अपनी परेशानी समाप्त कर ली। पिता की मौत के तीसरे दिन मोरारजी देसाई की शादी हुई थी।

मोरारजी देसाई की शिक्षा-दीक्षा मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज में हुई, जो उस समय काफी महंगा और खर्चीला माना जाता था। मुंबई में मोरारजी देसाई नि:शुल्क आवास गृह में रहे, जो गोकुलदास तेजपाल के नाम से प्रसिद्ध था। एक समय में वहां 40 शिक्षार्थी रह सकते थे।

विद्यार्थी जीवन में मोरारजी देसाई औसत बुद्धि के विवेकशील छात्र रहे थे। इन्हें कॉलेज की वाद-विवाद टीम का सचिव भी बनाया गया था, मगर स्वयं मोरारजी ने मुश्किल से ही किसी वाद-विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया होगा। मोरारजी देसाई ने अपने कॉलेज जीवन में ही महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक और अन्य कांग्रेसी नेताओं के संभाषणों को सुना था।

राजनीति छोड़ने के बाद मोरारजी देसाई मुंबई में रहा करते थे, 10 अप्रेल 1995 में उनका देहांत हो गया था। उस वक्त वह 99 साल के थे।