लखीमपुर खीरी हिंसा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए ऐसे समय में हुई है जब वह 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है। मध्य प्रदेश में हिंसा की एक घटना ने 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को हार का मुंह दिखाया था।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जून 2017 में मंदसौर हिंसा पर भाजपा को निशाना बनाने का बीड़ा उठाया था। आपको बता दें कि इस हिंसा में छह किसान मारे गए थे। कांग्रेस ने पूरे विधानसभा चुनाव में इसी मुद्दे पर बीजेपी और शिवाराज सरकार को घेरा। नतीजा भी उसके पक्ष में रहा। भाजपा यहां चुनाव हार गई।

कांग्रेस के लिए लखीमपुर हिंसा को लेकर विरोध-प्रदर्शन का जिम्मा प्रियंका गांधी वाड्रा ने संभाला है। आपको बता दें कि यहां चार किसान सहित आठ लोगों की जान चली गई थी।

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रियंका गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश की बड़े पैमाने पर ग्रामीण आबादी से जुड़ने के लिए इसे एक मुद्दा बनाएगी। कांग्रेस यहां एमपी मॉडल को ही दोहराने जा रही है। मध्य प्रदेश की 72 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। वहीं, उत्तर प्रदेश में 77 प्रतिशत लोग गांवों में रहते हैं। दोनों राज्य मुख्य रूप से कृषि प्रधान हैं।

कांग्रेस ने सरकार बनाने के 10 दिनों के भीतर कृषि संकट और कृषि ऋण माफी के वादे के आधार पर चुनाव अभियान चलाया। मंदसौर की घटना से पहले, कांग्रेस को कमजोर और विभाजित माना जाता था, लेकिन किसानों के लिए ‘बेहतर दिनों’ के वादे ने पार्टी के लिए एक सकारात्मक कहानी तैयार की। इसका नतीजो वोटिंग पैटर्न में भी दिखा। कांग्रेस सत्ता में लौटी। हालांकि बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी पुरानी पार्टी को तगड़ा झटका दिया और कमलनाथ को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।

मंदसौर लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के आठ विधानसभा क्षेत्रों में फैली हुई है। बीजेपी ने 2018 में इनमें से सात सीटें जीती थीं। कांग्रेस सिर्फ 350 वोटों से सिर्फ एक सीट जीतने में सफल रही। लेकिन बाकी मध्य प्रदेश में मंदसौर घटना से पार्टी को फायदा हुआ।

लखीमपुर खीरी के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र को खीरी कहा जाता है और इसमें उत्तर प्रदेश के पांच विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। भाजपा ने 2012 में पांच सीटों में से सिर्फ एक पर जीत हासिल की थी, लेकिन 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में सभी पांच सीटों पर जीत हासिल की थी।

कांग्रेस ने लखीमपुर खीरी की पिछली विधानसभा सीट 1991 में श्री नगर (अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित) जीती थी। कांग्रेस को उम्मीद है कि मंदसौर की घटना की तरह लखीमपुर खीरी हिंसा का भी उसे सियासी फायदा मिलेगा। दोनों घटनाओं में एक और समानता है। मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने विरोध कर रहे किसानों पर गोलीबारी की न्यायिक जांच का गठन किया था। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भी न्यायिक जांच के लिए तैयार हो गई है।

मध्य प्रदेश में हाईकोर्ट के रिटायर जज न्यायमूर्ति जेके जैन ने किसानों पर मंदसौर गोलीबारी की जांच की थी। उनकी रिपोर्ट ने किसानों के आंदोलन में खुफिया विफलता और असामाजिक तत्वों को जिम्मेदार ठहराया थी। जांच रिपोर्ट ने पुलिस को क्लीन चिट देते हुए कहा कि फायरिंग जरूरी हो गई थी और कानूनी थी। हालांकि इस क्लीन चिट ने मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा की मदद नहीं की।

भाजपा 2020 में संसद द्वारा पारित तीन कृषि विधेयकों को लेकर चल रहे के प्रति सावधानी बरत रही है। सरकार को उन्हें लागू करने से रोकने वाले कानूनों को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक दिया है। हालांकि, 40 से अधिक किसान संगठनों ने अपना विरोध जारी रखा है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएल संतोष ने लखीमपुर खीरी की घटना को राजनीतिक रूप देने के लिए विपक्ष पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, “एक खतरनाक मिसाल को तेजी से कट्टरपंथी कांग्रेस द्वारा हमारे सिस्टम में मजबूर किया जा रहा है। कांग्रेस के मुख्यमंत्री लखीमपुर खीरी का दौरा करना चाहते हैं। क्या होगा अगर कल अन्य पार्टी के सीएम भी कांग्रेस शासित राज्यों में हर हिंसक घटना का दौरा करने का फैसला कर ले।”

केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी पर उनके बेटे की कथित संलिप्तता को लेकर दबाव बढ़ गया है। उन्होंने अपने बेटे आशीष की घटना में शामिल होने को साबित करने के लिए कोई सबूत होने पर केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देने की पेशकश की है। भाजपा सांसद वरुण गांधी ने वाहन मालिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।