दिल्ली की सीमाओं से भले ही किसान हटकर अपने घरों को वापस चले गए हैं, लेकिन अब दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में ऐसा ही मोर्चा खुल सकता है। किसानों ने कर्नाटक एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमिटी पर बने कानून की वापसी की मांग को लेकर आंदोलन तेज करने का फैसला लिया है। भाजपा शासित राज्य में एपीएमसी कानून में संशोधन के खिलाफ किसान संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। कर्नाटक राज्य रैयत संघ हसिरू सेने नाम के संगठन ने सोमवार को विधानसभा घेरने का ऐलान किया है। वहीं राज्य सरकार ने इस कानून को बनाए रखने का फैसला लिया है और वापसी से इनकार किया है।

कर्नाटक के सहकारी मंत्री एसटी सोमशेखर कि सरकार इस कानून को जारी रखेगी। यह नया कानून स्थानीय एपीएमसी के अधिकारों को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही किसानों को मंडी समितियों से बाहर भी अपने उत्पादों को बेचने की छूट देता है। उन्होंने कहा, ‘मौजूदा कानून किसानों के हित में है। यह उन्हें इस बात की आजादी देता है कि वे अपने उत्पादों को एमपीएमसी मार्केट या फिर उससे बाहर भी बेच सकें। केंद्र सरकार की नीति से इस नियम पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। हम इसमें कोई बदलाव नहीं करेंगे।’

हाल ही में केंद्र सरकार ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिया था। इसके बाद इस ऐक्ट को भी राज्य सरकार की ओर से वापस लिए जाने के कयास लगाए जा रहे थे। तब कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा था कि उन्हें पार्टी लीडरशिप के निर्देशों का इंतजार है। कोई आदेश आते ही फैसला लिया जाएगा। यदि राज्य में किसानों का आंदोलन तेज होता है तो भाजपा के लिए एक बार फिर से मुश्किलें बढ़ जाएंगी, जिसे हाल ही में राहत मिली है। पीएम नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तीन नए कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान किया था। इसके अलावा एमएसपी गारंटी कानून को लेकर भी सरकार ने समिति के गठन का फैसला लिया है। इन मुद्दों पर सहमति के बाद ही किसानों ने घर वापसी की है।