गर्भ

भारत के शास्त्र और पुराण बेहद वैज्ञानिक हैं, आज विज्ञान जिन बातों की पुष्टि कर रहा है उनको पहले ही हमारे ग्रंथों और शास्त्रों में बताया गया। हिन्दू धर्म में व्यक्ति के जन्म के समय और काल के आधार पर उससे जुडी बहुत सी चीजों का आंकलन लग जाता है, क्योंकि यहाँ समय, काल और परिस्थितियों के आधार पर व्यक्ति के गुण और लक्षण जानने की विधियां हैं।

गर्भ उपनिषद :
गर्भ उपनिषद के माध्यम से जाना जा सकता है कि बच्चे के लक्षण कैसे होंगे। दरअसल गर्भ उपनिषद में बच्चों को जन्म देने से जुडी कई जानकारी दी गई हैं उनमे से एक बेहद अहम् जानकारी यह है कि किस दिन गर्भ धारण करने पर होने वाली संतान का व्यवहार कैसा होता है। उपनिषद में तीन दिनों की चेतावनी दी गई है कि उन दिनों में भूल कर भी गर्भ धारण नही करना चाहिये।

गर्भ उपनिषद में गर्भ संस्कार के तहत गर्भ धारण के लिये बताये गये अनुपयुक्त दिनों में मंगलवार, शनिवार और रविवार शामिल किया गया है। माना जाता है कि इन दिनों में गर्भ धारण करने पर होने वाली संतान अच्छी नहीं होती।

मंगलवार का स्वामी होता है मंगल ग्रह, और मंगल ग्रह का रंग लाल है। साथ ही उसका स्वाभाव अत्यंत क्रोधी और विनाशकारी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन के स्वाभाव के कारण इस दिन कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिये, अगर इस दिन कोई स्त्री गर्भ धारण करती है तो ये बेहद अशुभ होगा, पैदा होने वाली संतान स्वाभाव से बहुत गुस्सैल, और घमंडी होगी। जो किसी की बात ना सुने, अपने मन से कुछ भी करे, सबको परेशान करे और जिसके स्वाभाव में ही हिंसा भरी हो। मंगलवार को जन्मे बछोंपर मंगल ग्रह का प्रभाव होता है।