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नई दिल्ली, यूपीए शासनकाल में वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम के लिए मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं. उनके बेटे कार्ति भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई की कस्टडी में हैं, अब एक नई मुसीबत आई है, जिसमें सोना आयात योजना में उनकी कथित भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं.

संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) में शामिल भाजपा सदस्यों ने बृहस्पतिवार को पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम को अपने निशाने पर रखा जिनके वित्त मंत्री रहने के दौरान यूपीए सरकार की ओर से 80:20 सोना आयात योजना शुरू की गई थी.

पीएसी की बैठक में इस योजना में चिदंबरम की भूमिका पर सवाल उठे. सीएजी ने 2016 में पेश अपनी रिपोर्ट में इस योजना पर सवाल उठाए थे. सोना आयात योजना को यूपीए सरकार ने अगस्त 2013 में अपनी मंजूरी दी थी.

सवा लाख करोड़ रुपये का नुकसान

इस योजना के तहत 100 किलोग्राम से ज्यादा का सोना आयात करने वाली कंपनी को ही इंपोर्ट ड्यूटी में रियायत मिलती थी. साथ ही व्यापारियों को सोने का आयात करने की अनुमति तभी दी जाएगी जब वे अपने पिछले आयात से 20 प्रतिशत सोने का निर्यात कर चुके हों.

सीएजी रिपोर्ट के अनुसार 2013 से 2015 के बीच 80:20 सोना आयात योजना की वजह से सरकारी खजाने को करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये का चुना लगा था.

सूत्रों के अनुसार पीएसी के भाजपा सदस्यों ने आरोप लगाया कि मेहुल चोकसी जैसे आभूषण कारोबारियों ने धनशोधन के लिए इस योजना का दुरुपयोग किया. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली पीएसी की उपसमिति के समक्ष राजस्व सचिव और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) तथा केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के शीर्ष अधिकारी पेश हुए.

नीरव और मेहुल को हुआ मुनाफा

सीएजी की रिपोर्ट पर लोकलेखा की उपसमिति की बैठक में सोना आयात योजना को लेकर तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम की भूमिका पर सवाल उठे. इस योजना से जिन कंपनियों को फायदा पहुंचा, उनमें नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की कंपनियां भी शामिल हैं, जिन्हें इससे हजारों करोड़ों का मुनाफा हुआ.

पीएसी ने वित्त सचिव, सीबीडीटी, ईडी से गोल्ड स्कीम से जुड़े सारे तथ्य और फाइल पीएसी की उपसमिति के समक्ष 15 दिन में देने को कहा, साथ ही इस योजना में चिदंबरम की भूमिका की जानकारी देने को भी कहा गया है.

मोदी सरकार ने बंद की योजना

80:20 सोना आयात योजना की शुरुआत 2013 अगस्त में की गई थी, फिर 2014 फरवरी में इसमें बदलाव किए गए और सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि 2014 में आम चुनाव के नतीजे आने से महज दो दिन पहले 14 मई को इस योजना को आगे बढ़ाने का फैसला किया गया और यूपीए की हार के बाद 21 मई को इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया.

सूत्रों की माने तो समिति की ओर से सीएजी रिपोर्ट के आधार पर जांच की जाएगी. पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम ने योजना में तीन बदलाव क्यों किए, कहीं इसके पीछे सोना आयात करने वाली कंपनियों को फायदा पहुंचाने की मंशा तो नहीं थी.

मई, 2014 में मोदी सरकार के अस्तित्व में आने के कुछ महीने बाद नवंबर में इस योजना को बंद कर दिया गया.

समिति की अगली बैठक मार्च के तीसरे सप्ताह में होगी. पीएसी सभी एजेंसियों से एकत्र जानकारी आने के बाद पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम को इस संबंध में समन जारी कर सकती है.

सूत्रों के अनुसार दुबे ने बैठक में कहा कि कैग की रिपोर्ट में स्पष्ट संकेत था कि चोकसी समेत आभूषण कारोबारियों ने काले धन को सफेद में बदलने के लिए योजना का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पी. चिदंबरम को इसकी जानकारी थी.