सूअर
Yorkshire Pig on Grass

वाशिंगटन: वैज्ञानिकों को अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में एक नई सफलता हाथ लगी है। इंसानों मे सुअर के अंग आसानी से ट्रांसप्लांट किए जा सकते है ऐसा अमेरिकी चिकित्सा विज्ञानियों को दावा है। अमेरिकी चिकित्सा वैज्ञानिकों ने जीन एडिटिंग टूल क्रिस्पर कास-9 की सहायता से सूअर के डीएनए मे मिलने वाला वह वायरस हटा दिया है जिसके चलते अभी तक उसके ऑर्गन को इंसान मे ट्रांसप्लांट करने मे मुश्किल आ रही थी। पोरसिन इंडोजीनस रेट्रोवायरसेज सूअर के डीएनए मे पाए जाते है जिनकी वजह से ह्यूमन सेल को खतरा होता है।

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने सबसे पहले 25 सूअर मे पर्व्स की मैपिंग कीऔर फिर सूअर की उन सेल्स को टेस्ट किया जो ह्यूमन सेल्स को संक्रमित करती है। इसके बाद वैज्ञानिकों ने इन पर्व्स को 100% तक हटाने मे कामयाबी हासिल की है। इससे सूअर के किडनी हॉर्ट और अन्य ऑर्गन को इंसान में ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा।

बायोटेक कंपनी ई-जेनेसिस के को-फाउंडर और चीफ साइंटिस्ट डॉ. लुहान यांग कहते है कि यह रिसर्च ऑर्गन ट्रांसप्लांट मे सुरक्षा संबंधी चिंताओं के लिहाज से काफी अहम है। इसके साथ ही क्रास स्पीसीज वायरल ट्रांसमिशन से होने वाले खतरे को बताया गया है। हमारी टीम आने वाले समय मे जीन एडिटिंग के माध्यम से पर्व्स फ्री सूअर के ऑर्गन डिलीवर करेगी। पर्व्स फ्री सूअर की यह रिपोर्ट पहली बार प्रकाशित हुई है।

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी मे प्रोफेसर इयान मेककोननेल का कहना है कि मॉर्डन मेडिकल साइंस के लिए यह पिछले 20 साल की सबसे बड़ी कामयाबी है। इससे आने वाले समय मे जानवरों के ऑर्गन और टिश्यू इंसान मे ट्रांसप्लांट करने मे सफलता मिलेगी। ऑर्गन डोनर की अब आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी। मेडिकल साइंस के सामने सबसे बड़ी चुनौती ट्रांसप्लांट्स के लिए ऑर्गन की उपलब्धता है। लाखों लोगों की मौत इसके चलते हर साल हो जाती है। अमेरिकी वैज्ञानिकों की इस सफलता को काफी अहम माना जा रहा है।

इंसानों मे दूसरे जानवरों की हॉर्ट लिवर और किडनी को प्रत्यारोपित करने की कोशिशें वैज्ञानिक 1960 के दशक से कर रहे है। यह कभी सफल नहीं हुआ। सूअर के ऑर्गन को 2015 मे लंगूर मे ट्रांसप्लांट किया गया था। लंगूर की दो साल मे ही मौत हो गई थी। सूअर के हॉर्ट किडनी और लिवर इंसान से काफी मिलते-जुलते है। ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए वैज्ञानिकों ने बाकी जानवरों की तुलना मे सूअर को बेहतर विकल्प पाया क्योंकि उसके किडनी और हॉर्ट का आकार इंसान की ही तरह होता है। इसके साथ ही उसमें बीमारियों का खतरा भी कम है। सूअर का विकास भी कम समय मे हो जाता है और ये आसानी से उपलब्ध भी है।