नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष पद से इस्‍तीफा देने के बाद उनके ‘टेंपर’ को लेकर फिर सवाल उठ रहे हैं। सिद्धू क्रिकेट के मैदान में से लेकर सियासत में आने के बाद अपनी अस्थिरता और आवेश में फैसला लेने की प्रवृति काे दिखाते रहे हैं। इसके कारण उनको क्रिकेटर के तौर पर भी नुकसान हुआ और राजनेता के रूप में भी झटके लगते रहे हैं। इसमें चाहे भारतीय क्रिकेट टीम के इंग्‍लैंड दौर के बीच से लौटने और क्रिकेट से संन्‍यास की घोषणा हो या भाजपा से इस्‍तीफा देना। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट से इस्‍तीफा देने के बाद तो सिद्धू सियासत से दूर होकर अज्ञातवास में चले गए थे।

क्रिकेटर के तौर पर नवजोत सिंह सिद्धू ने भारतीय क्रिकेट में अपनी खास पहचान बना ली थी और उस समय विश्‍व क्रिकेट में अच्‍छे सलामी बल्‍लेबाज के तौर पर स्‍थापित हो रहे थे। तभी 1996 में भारतीय क्रिकेट टीम के इंग्‍लैंड दौरे के दौरान सिद्धू ने एकाएक ‘धमाका’ कर दिया। कप्‍तान मोहम्‍मद अजरुद्दीन से मामूली बात पर विवाद हो जाने के बाद सिद्धू रात में उस होटल से बाहर आ गए जहां पूरी टीम ठहरी हुई थी और इतनी ही नहीं वह दौरा छोड़कर भारत वापस आ गए। उन्‍होंने क्रिकेट से भी संन्‍यास की घोषणा कर दी।

उस दौरे में भारतीय क्रिकेट टीम में मैनेजर जयवंत लेले ने बाद में पूरे मामले का खुलासा किया। लेले ने बताया कि मो. अजरुद्दीन ने हैदराबाद में बोले जाने वाले स्‍थानीय शब्‍द का इस्‍तेमाल किया था और सिद्धू ने उसका गलत मतलब निकाल लिया। हालांकि, बाद में सिद्धू क्रिकेट में लौटे और काफी मशक्‍कत के बाद उनकी भारतीय क्रिकेट टीम में वापसी हुई, लेकिन तब तक क्रिकेटर के तौर पर सिद्धू अपना काफी नुकसान कर चुके थे और भारतीय क्रिकेट को बेवजह का विवाद झेलना पड़ा।

इसके बाद वह राजनीति में भाजपा के माध्‍यम से आए और पार्टी के टिकट पर अमृतसर से सांसद बने। अमृतसर से वह तीन बार भाजपा के सांसद बने। बाद में भाजपा ने 2014 के चुनाव में अमृतसर से उनके राजनीतिक गुरु अरुण जेटली को अपना उम्‍मीदवार बनाया ताे सिद्धू नाराज हो गए। कभी जेटली को अपना सियासी गुरु कहते नहीं थक रहे सिद्धू इस चुनाव में उनका प्रचार करने तक नहीं गए।

बाद में सिद्धू को भाजपा ने राज्‍यसभा की सदस्‍यता भी दी, लेकिन ‘गुरु’ का टेंपर फिर सामने आया और उन्‍होंने राज्‍यसभा की सदस्‍यता से इस्‍तीफा दे दिया। इसके साथ ही उन्‍होंने भाजपा से भी इस्‍तीफा दे दिया। इसके बाद तो भाजपा को  कभी अपनी मां बताने वाले सिद्धू ने उस पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए।

2017 के चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद सिद्धू को कैप्‍टन अमरिंदर‍ सिंह सरकार में उपमुख्‍यमंत्री बनाने की चर्चाएं चलती रहीं, लेकिन कैप्‍टन के विरोध के कारण उनकी बात न‍हीं बनी। इसके बाद उनको कैप्‍टन सरकार में उनको स्‍थानीय निकाय जैसा महत्‍वपूर्ण विभाग दिया गया। इसी दौरान उनको ‘टेंपर’ फिर आड़े आया और उन्‍होंने अपने सीएम पर ही हमला शुरू कर दिए। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह को अपना नेता मानने से ही इन्‍कार कर दिया। सिद्धू ने सार्वजनिक तौर पर कह दिया कि ‘ कैप्‍टन, कौन कैप्‍टन, अमरिंदर सिंह ताे पंजाब के कैप्‍टन हैं। मेरे कैप्‍टन तो राहुल गांधी हैं।’

इसके बाद सिद्धू ने कैप्‍टन के विभाग बदलने और स्‍थानीय निकाय के बदले बिजली विभाग देने पर कार्यभार नहीं संभाला। इसके बाद उन्‍होंने मंत्री पद से अपना इस्‍तीफा राहुल गांधी को भेज दिया। इस पर सवाल उठा तो उन्‍होंने तत्‍कालीन सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह काे अपना इस्‍तीफा भेजा।

इसके बाद सिद्धू ने सर्जिकल स्‍टाइक पर सवाल उठा दिए। इतना ही नहीं उन्‍होंने पुलवामा आतंकी हमले को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू ने पााकिस्‍तान काे क्‍लीनचिट दी और उसके पक्ष में बयान दे दिया। इसके साथ ही पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने और पाकिस्‍तानी सेना के अध्‍यक्ष कमर जावेद बाजवा से गले मिलने पर भी वह विवाद में घिर गए।

बद में गुरु सिद्धू लाे टेंपर’ में चले गए और सियासत के मैदान से दूर एक तरह से अज्ञातवास में चले गए। इसके बाद राहुल गांधी की पंजाब में ट्रैक्‍टर यात्रा के दौरान वह हरीश रावत की काेशिशों से सक्रिय हुए। लेकिन, राहुल की रैली में ही उन्‍होंने पंजाब की अपनी ही सरकार पर हमला बोल दिया। अब पिछले कुछ समय से पंजाब कांग्रेस में सिद्धू के हिसाब से ही करीब-करीब सब कुछ हो रहा था और उनके सियासी ‘दुश्‍मन’ कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के सीएम पद से हटा दिया गया था। लेकिन सिद्धू का टेंपर अचानक फिर जागा और उन्‍होंने पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष पद से  इस्‍तीफा दे दिया है।