आज एक और पूर्व भारतीय सफल कप्तान सौरव गांगुली का जन्मदिन है। साल 1972 को कलकत्ता यानी आज के कोलकाता में गांगुली का जन्म हुआ था। आज गांगुली अपना 45th बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। गांगुली को सब दादा भी बुलाते हैं क्योंकि दादा मैदान में अक्सर अपनी ‘दादागिरी’ किया करते थे। गांगुली की गिनती टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तानों में होती है। गांगुली को पहली बार 1991-92 में ऑस्ट्रेलिया टूर पर गई टीम इंडिया में शामिल किया गया था। लेकिन उनके ऐटिटूड के कारण उन्हें 4 साल तक टीम में जगह नहीं मिली थी। क्योंकि उन्होंने मैदान पर खिलाडियों के लिए ड्रिंक्स ले जाने के लिए मना किया था।

बाद में गांगुली ने कहा था कि न जाने कहां से यह कहानी आ गई। उन्होंन ड्रिंक्स ले जाने वाली बात पर सिर्फ इतना कहा कि हमारी ट्रिप पर रनबीर सिंह नाम का मैनेजर था। उससे खराब व्यक्ति मैंने अपनी लाइफ में कभी नहीं देखा। हमारे लिए शर्म की बता थी कि उस जैसे मैनेजर को टीम के साथ रखा गया था।

फिर साल 1996 में इंग्लैंड दौरे के लिए जब टीम इंडिया का ऐलान हुआ तो उस टीम में एक ऐसा नाम भी था जिस पर बहुत लोगों को आपत्ति थी। उसी साल भारत में खेले गए वर्ल्डकप में अच्छा प्रदर्शन करने वाले विनोद कांबली को ड्रॉप करके बंगाल के बांए हाथ के बल्लेबाज सौरव गांगुली को चुना गया था।

उस दौरे में बर्मिंघम में उस सीरीज के पहले मुकाबले में टीम इंडिया को आठ विकेट से हार मिली। दूसरे टेस्ट की प्लेइंग इलेवन में सौरव गांगुली को जगह दी गई. क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर सौरव गांगुली ने अपने टेस्ट करियर का आगाज किया। लॉर्ड्स के उस मुकाबले में सौरव ने 131 रन की पारी खेली और टेस्ट को ड्रॉ कराने में अहम भूमिका निभाई। उसके बाद नॉटिंघम में अगले टेस्ट में सौरव ने एक और सेंचुरी जड़ी और वह मुकाबला भी टीम इंडिया हारने से बच गई। सौरव गांगुली लगातार दो टेस्ट शतकों के साथ अपने करियर की शुरूआत की।

दादा के रिकॉर्ड
साल 1997 में सौरव ने कनाडा के शहर टोरंटो में भारत पाकिस्तान के बीच खेले जाने वाले टूर्नामेंट में बेहतरीन आलराउंडर प्रदर्शन करके मैन ऑफ द सीरीज का खिताब अपने नाम किया था। साल 1999 के वर्ल्डकप में सौरव ने श्रीलंका के खिलाफ 183 रन की पारी खेलकर कपिल देव की 175 रन की पारी का रिकॉर्ड भी तोड़ा। उस वक्त यह किसी भी भारतीय बल्लेबाज का वनडे में सर्वश्रेष्ठ स्कोर था।

साल 2000 में सचिन तेंदुलकर ने कप्तानी छोड़ दी थी। मैच फिक्सिंग के आरोपों के बाद टीम इंडिया का मनोबल गिरा हुआ था। ऐसी स्थिति में सौरव ने टीम इंडिया की कमान संभाली। सौरव की कप्तानी में ही भारतीय टीम साल 1983 के बाद पहली बार साल 2003 में वर्ल्डकप के फाइनल में पहुंची थी। सौरव की कप्तानी में ही युवराज सिंह, वीरेंद्र सहवाग और हरभजन सिंह जैसे क्रिकेटरों को भारतीय क्रिकेट में स्थापित होने का मौका मिला।

साल 2005 में खराब फॉर्म और कोच ग्रेप चैपल के साथ मतभेदों के चलते सौरव टीम इंडिया से बाहर भी हुए। लेकिन सौरव ने एक बार फिर टीम इंडिया में वापसी की और साल 2008 में क्रिकेट को अलविदा कहा। अपने आखिरी टेस्ट में सौरव ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 85 रन की पारी खेली।

क्रिकेट से संन्यास लेने का बाद भी सौरव इस खेल के साथ जुड़े हुए हैं। बतौर कमेंटेर सौरव और बतौर क्रिकेट प्रशासक सौरव बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं और बीसीसीआई के अहम फैसलों में अपनी राय देते है।

सचिन ने उड़ाई सौरव की नींद
सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली ने कई रिकॉर्ड भी अपने नाम किए, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सचिन और सौरव की पहली मुलाकात मध्यप्रदेश के इंदौर में हुई थीं। बीसीसीआई द्वारा इंदौर में अंडर 14 कैंप आयोजित किया गया था। यहां दोनों क्रिकेटरों की पहली मुलाकात हुई थी। सचिन और सौरव रूम मेट थे। एक रात को सचिन अपने बिस्तर से उठे और कमरे में घूम कर फिर अपने बिस्तर पर आकर सो गए। गांगुली को लगा कि शायद सचिन बाथरूम गए थे। लेकिन अगली रात को भी ऐसा हुआ।

सौरव गांगुली ने पिछले दिनों उन पलों को याद करते हुए बताया था कि इसके बाद उन्होंने सचिन से बात की। तब गांगुली को सचिन ने बताया कि उन्हें नींद में चलने की बीमारी है। यह जानकर गांगुली डर गए। इसके बाद वह जब भी सोते तो उनका ध्यान सचिन पर ही रहता था।

दादा का शर्ट उतारकर लहराना
सौरव द्वारा 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्‍ट ट्रॉफी जीतना का जश्न आज भी याद किया जाता है। ट्राई सीरिज के फाइनल के दौरान लार्ड्स ग्राउंड की बालकनी में जश्‍न के अंदाज में अपनी शर्ट उतारकर लहराई थी। यह क्रिकेट इतिहास की ऐतिहासिक घटना थी. भारत में इसे जश्न के तौर पर देखा गया तो वहीं क्रिकेट दिग्गजों ने इस लॉर्ड्स मैदान का अपमान बताया था।