नई दिल्लीः यूआईडीएआई ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने आधार मामले की सुनवाई के दौरान हैरान करने वाला बयान दिया है। आधार संरक्षक यूआईडीएआई ने आरोप लगाया है कि गूगल और स्मार्ट कार्ड लॉबी आधार को सफल नहीं होना चाहते थे। क्योंकि यूआईडी पहचान प्रमाणित करने के लिए एक आसान तरीके के रूप में उभर रहे हैं, जिसके बाद वे बिजनेस से बाहर होंगे।

पांच जजों की बेंच कर रही सुनवाई
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की 5 जजों वाली बेंच आधार मामले की सुनवाई कर रही है। उन्होंने पीठ को बताया कि यूरोप आधारित एक कॉमर्शियल वेंचर की ओर से ऐसा अभियान चलाया गया कि आधार को स्मार्ट कार्ड की तरह नहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यदि आधार सफल हो जाता है तो स्मार्ट कार्ड बिजनेस से बाहर हो जाएंगे। गूगल ऐसा नहीं चाहता है। स्मार्ट कार्ड की लॉबी आधार को सफल होने देना नहीं चाहती है। इसी वजह से इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। दरअसल कोर्ट ने इस बात की आशंका जताई थी कि आधार के लिए ली गई जानकारी सुरक्षित है या नहीं।

डाटा सुरक्षा को लेकर कोई कानून नहीं
कुछ याचिकाकर्ताओं जिन्होंने आधार एक्ट को चुनौती दी है, उनका कहना है कि आधार के डाटा को यूआईडीए के पास ना रखकर एक डेबिट या क्रेडिट की तरह स्मार्ट कार्ड में रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आधार के लिए लिया जाने वाला डाटा सुरक्षित है, यह कहना मुश्किल है क्योंकि देश में डाटा सुरक्षा को लेकर कोई कानून मौजूद नहीं है।

डाटा लीक ना होने की कोई गारंटी नहीं
इस पर यूआईडीएआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि बायोमेट्रिक डाटा किसी के साथ शेयर नहीं किया जाता है। जिसका आधार है उसकी सहमति के बिना यह किसी और को नहीं दिया जाता है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि डाटा लीक ना हो लेकिन इसकी 100 फीसदी गारंटी नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि इसे फेसबुक लीक से जोड़ना सही नहीं है। कैंब्रिज एनालिटिका की तरह आधार आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का प्रयोग नहीं करता है और यह व्यक्तिगत है। इसे लेकर एक तरह का डर फैलाया जा रहा है कि डाटा असुरक्षित है।