गोरखपुर के होटल कृष्णा पैलेस में सोमवार रात दबिश के बाद पुलिसकर्मियों ने बर्रा तीन निवासी मनीष गुप्ता (36) की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। बुधवार को शव घर पहुंचने के बाद पुलिस कमिश्नर असीम अरुण और एडीएम सिटी अतुल कुमार आर्थिक सहायता के तौर पर 10 लाख रुपये का चेक देने पहुंचे तो पत्नी मीनाक्षी का आक्रोश फूट पड़ा। चेक लेने से इनकार करते हुए अफसरों से कहाकि उसके बेगुनाह पति की पुलिस वालों ने पीट पीटकर निर्ममता से हत्या की है। दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई के बजाए हत्या का सौदा करने आए हैं। तुम सब पर लानत है। पहले दोषियों को सजा दी जाए। उनकी मांगे पूरी की जाएं। मीनाक्षी का दर्द देखकर मोहल्ले वालों का गुस्सा भी भड़क गया। सभी पुलिस और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। मामला बिगड़ता देखकर पुलिस कमिश्नर और एडीएम सिटी पीछे हट गए।

पत्नी का सवाल, तीन पुलिसकर्मी अज्ञात कैसे
मीनाक्षी ने कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि हत्याकांड में इंस्पेक्टर समेत छह पुलिसकर्मी पर मुकदमा दर्ज किया गया है। जिनमें से तीन अज्ञात हैं। मीनाक्षी ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए उनके नामों को एफआईआर में नहीं लिखा गया।

जब सभी पुलिसकर्मी सीसीटीवी में कैद हैं और उनका पूरा ब्योरा है तो उन्हें आरोपी क्यों नहीं बनाया जा रहा है। क्या इंस्पेक्टर को नहीं पता था कि उनके साथ कौन-कौन से पुलिसकर्मी थे? पुलिस दोषियों को बचाने के लिए खेल कर रही है।

पुलिसकर्मी मरे तो एक करोड़, मारे तो दस लाख
मृतक के परिजनों ने कहा कि बिकरू कांड में जो पुलिसकर्मी शहीद हुए थे, उनके परिवार वालों को एक-एक करोड़ रुपये की मदद की गई थी। यहां जब पुलिस वालों ने ही निर्दोष व्यक्ति को मार दिया है तो दस लाख रुपये की सहायता दे रहे हैं। ये कहां का और कैसा न्याय है। परिजनों ने साफ कहा कि पचास लाख रुपये मुआवजा और पत्नी को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए।

अंतिम संस्कार को लेकर मतभेद
डीसीपी और अन्य अफसरों ने जब मनीष की पत्नी व उनके परिजनों को समझाया तो वह एक बार अंतिम संस्कार के लिए शव उठाने के लिए तैयार हो गए। तभी अन्य रिश्तेदार और नेताओं ने इसका विरोध किया। थोड़ी गहमागहमी भी हुई। इसके बाद पत्नी को निर्णय बदलना पड़ा। मीनाक्षी ने कहाकि वो मांगें पूरी होने तक अंतिम संस्कार नहीं करने देंगी।