हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के पास आउट स्टूडेंट्स को टैबलेट देने के सरकार के फैसले पर ‘टैबलेट पॉलिटिक्स’ शुरू हो गई है. कांग्रेस ने इसको लेकर उत्तराखंड सरकार पर सीधा हमला बोला है. पार्टी का कहना है कि सिर्फ इस साल पास होने वाले छात्र-छात्राओं को ही क्यों टैबलेट देने का फैसला किया गया? प्रदेश में करीब 10 लाख बच्चे हैं. उन सभी को टैबलेट देना चाहिए. आखिर उन छात्र-छात्राओं के साथ ये नाइंसाफी क्यों?

कांग्रेस का सवाल, 2017-20 वाले बच्चों ने क्या गुनाह किया?
आपको बता दें, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में 12 अक्टूबर को सचिवालय में कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें प्रदेश के हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के पास स्टूडेंट्स को सरकार ने टैबलेट देने का फैसला किया. कैबिनेट की बैठक में छात्र-छात्राओं को टैबलेट देने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई. मगर, कांग्रेस पार्टी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ती. कांग्रेस ने सरकार से सीधा सवाल कर कहा कि जब प्रदेश में 2017 से भाजपा की सरकार है, तो तबसे लेकर अब तक पास हुए सभी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के बच्चों को टैबलेट क्यों नहीं दिए जा रहे हैं? जो बच्चे 2017 से लेकर 2020 में पास आउट हुए. उन सभी ने क्या गुनाह किया है? सिर्फ 2021 के पास 10वीं और 12वीं क्लास के लोगों को ही टैबलेट क्यों दिया जा रहा है?

बाकियों के साथ हो रहा अन्याय
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि प्रदेश में पिछले पांच साल में करीब 10 लाख छात्र-छात्राएं हाई स्कूल इंटरमीडिएट के एग्जाम पास कर चुके हैं. लेकिन, सरकार ने सिर्फ 2.5 लाख को ही टैबलेट देने का जो आदेश दिया है, यह बाकी बच्चों के साथ नाइंसाफी है.

बच्चों के भविष्य के लिए सरकार ने लिया यह फैसला
उत्तराखंड सरकार के इस फैसले को छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विपिन कैंथोला का कहना है कि सरकार छात्र-छात्राओं के हितों के मद्देनजर 2.5 लाख छात्र-छात्राओं को टैबलेट देने जा रही है. इससे उन्हें आगे की पढ़ाई में काफी सहूलियत मिलेगी. कैंथोला का कहना है कि कांग्रेस पार्टी को सरकार के हर फैसले पर सिर्फ सियासत ही नजर आती है.