पटना,  बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में आज बड़ा फैसला आ सकता है। पहले दिन के फैसले का समय सुबह ग्यारह बजे तय था, लेकिन अब मिल रही जानकारी के मुताबिक अब फैसला दोपहर तीन बजे सुनाया जाएगा। रांची के सीबीआई  की स्पेशल कोर्ट आज देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले में अहम फैसला सुनाने वाली है।

अभी-अभी मिली जानकारी के मुताबिक अगर सीबीआई की विशेष कोर्ट लालू यादव को सजा सुनाती है तो उन्हें बिरसा केंद्रीय कारागार में रखा जाएगा। बता दें कि ये वही बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल है, जो पशुपालन विभाग की जमीन पर बना हुआ है। लालू यादव अभी रेलवे के गेस्ट हाउस में आराम कर रहे हैं, तीन बजे से पहले फिर वे कोर्ट के लिए निकलेंगे।

राजद सुप्रीमो लालू यादव पहली बार दिसंबर 2002 में गरीब रथ पर सवार होकर रांची आए थे  और उस वक्त बेकन हॉस्टल लालू के लिए  कैंप जेल बना था।

लालू कोर्ट के लिए निकले लेकिन जब उन्हें पता चला कि फैसला दोपहर तीन बजे आएगा उन्होंने कोर्ट में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी और वापस गेस्ट हाउस वापस चले गए। लालू के साथ उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव भी उनके साथ हैं। अब लालू दोपहर तीन बजे से पहले कोर्ट के लिए निकलेंगे।

लालू यादव के वकील चितरंजन प्रसाद ने जानकारी दी कि ग्यारह बजे फैसले की बात कही गई थी, लेकिन न्यायाधीश किसी अन्य मामले की सुनवाई में व्यस्त हैं, इसीलिए अब फैसला दोपहर तीन बजे सुनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि फैसले की सुनवाई के लिए लालू गेस्ट हाउस से निकल चुके थे, लेकिन रास्ते में ही उन्हें जानकारी दे दी गई कि अब फैसला तीन बजे के बाद आएगा।

आज सुबह साढ़े दस बजे के बाद जैसे ही लालू यादव रांची स्थित रेलवे के गेस्ट हाउस से कोर्ट के निकले, उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं ने घेर लिया। कोर्ट जाने से पहले लालू ने कहा कि फैसला जो भी आए सभी लोग संयम बरतें, मैं बिहार की जनता का आभारी हूं। उन्होंने कहा कि न्यायालय पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि फैसला जो भी आए हर आदमी लालू यादव बनकर बीजेपी के खिलाफ खड़ा होगा।

मेरे बाद तेजस्वी है ना, राजद और होगा मजबूत

लालू ने कहा कि जो भी फैसला आएगा लालू को मंजूर है, मेरे बाद मेरा बेटा तेजस्वी है ना, पूरा देश, पूरी जनता देख रही है कि मुझे और मेरे परिवार को किस तरह भाजपा परेशान करने की कोशिश कर रही है उसमें वो कामयाब नहीं होंगे। एक लालू को जेल भेजेंगे तो एक लाख लालू अब पैदा होगा, लालू ने गरीब जनता की लड़ाई लड़ी है और लड़ता रहेगा।

इस बड़े फैसले पर पूरे देश की नजर टिकी हुई है। राजद के बड़े नेता और कार्यकर्ता धीरे-धीरे रांची के सीबीआई की स्पेशल कोर्ट पहुंचने लगे हैं। फैसले के बाद राजद के बड़े नेता मीडिया से मुखातिब होंगे। कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।

मिली जानकारी के मुताबिक लालू यादव के पैतृक गांव गोपालगंज के फुलवरिया में भी उनके बरी होने के लिए पूजा-अर्चना की जा रही है। गांव के लोग भी लालू के लिए दुआ मांग रहे हैं और फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

रांची पहुंचे लालू के समर्थक, कहा-हमारे नेता निर्दोष

रांची पहुंचे राजद के नेता और कार्यकर्ता फैसले का इंतजार कर रहे हैं। सबने एक सुर में कहा कि हमारे नेता निर्दोष हैं, उन्हें फंसाया गया है। हम चाहते हैं कि फैसला जल्द सुना दिया जाए और हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जी पाक साफ निकलेंगे और हम सबको इसका इंतजार है। हमें न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है और फैसला हमारे नेता के पक्ष में ही होगा।

लालू शुक्रवार को ही रांची पहुंच गए। उनके साथ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी हैं। पिछले 21 सालों से चली आ रही सुनवाई की लंबी प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल आठ मई को सख्ती बरतते हुए नौ महीने के भीतर ट्रायल पूरा कर लेने का आदेश दिया था, जिसके बाद हर सप्ताह सुनवाई होने लगी।

सीबीआइ का कहना है कि उसके पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री को अवैध निकासी की पूरी जानकारी थी। कई मौकों पर उन्होंने वित्त विभाग के प्रभारी मंत्री के रूप में इन निकासियों की अनुमति दी थी।

मामले की गंभीरता को देखते हुए माना जा रहा है कि लालू को अधिकतम सात साल कैद की सजा सुनाई जा सकती है। तीन साल से कम की सजा पर लालू के लिए जमानत लेना आसान हो सकता है, लेकिन तीन साल से ज्यादा की सजा होने पर जमानत लेने में दिक्कत होगी।

 

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था झटका

झारखंड हाईकोर्ट ने नवंबर 2014 में लालू को राहत देते हुए उनपर लगे घोटाले की साजिश रचने और ठगी के आरोप हटा दिए थे। फैसले में कहा गया था कि एक ही अपराध के लिए किसी व्यक्ति को दो बार सजा नहीं दी जा सकती।

इस फैसले को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए लालू पर आपराधिक केस चलाने की अनुमति दे दी थी। साथ ही नौ महीने के भीतर सुनवाई पूरी करने का आदेश भी दिया था।

इस मामले में होगा फैसला 

पुलिस ने 1994 में संयुक्त बिहार के देवघर, गुमला, रांची, पटना, चाईबासा और लोहरदगा समेत कई कोषागारों से फर्जी बिलों के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध निकासी के मामले दर्ज किए। धड़ाधड़ गिरफ्तारियां होने लगी तो पटना हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया और जांच का काम सीबीआइ को सौंपा। तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद भी चपेट में आ गए।

देवघर कोषागार से निकासी मामले में लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र सहित 22 आरोपियों पर न्यायालय में ट्रायल चला है। कुल 34 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया गया था, जिनमें से कई का निधन हो चुका है, जबकि दो आरोपी सरकारी गवाह बन गए हैं।

कौन-कौन आरोपी

लालू प्रसाद, डॉ जगन्नाथ मिश्र, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, पूर्व सांसद आरके राणा, पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद के साथ कई आइएएस एवं अन्य अधिकारी शामिल हैं।