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लखनऊ: राजधानी के आशियाना इलाके में कथित तौर पर पुलिस की गोली का शिकार तेंदुए पर राजनीति शुरू हो गई है। इस पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने सवालिया निशान उठाए हैं।

अखिलेश ने व्यंगात्मक लहजे में कहा कि तेंदुए को पकड़ने के लिए जाल लगाए गए थे, वन विभाग की टीम थी तथा पुलिस भी थी। यदि तेंदुआ जाल तोड़कर बाहर आ गया था तो उसे पकड़ने का प्रयास किया जाना था। गोली मारने का क्या औचित्य था। क्या तेंदुए के पास कट्टा (देशी पिस्तौल) था और वह गोलियां चला रहा था और पुलिस को अपनी जान बचाने के लिए मुठभेड़ करनी पड़ी।

तेंदुए के मरने के बाद अखिलेश ने अपने ट्वीट में कहा था कि कौन सा कानून कहता है कि जानवरों को पकड़ने की जगह जान से मार दिया जाए, बेहोश भी तो कर सकते थे। नई सरकार में क्या जानवरों के भी एनकाउंटर का चलन शुरू हो गया है। यह गैर कानूनी है, इसके जिम्मेदार बचने नहीं चाहिए।

इस मुद्दे पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने भी अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बेजुबान जानवर को बंद कमरे में मारना अपराध है। वन विभाग को उसको पकड़ने के प्रयास करने चाहिए, जिन लोगों ने यह काम किया है। उनके खिलाफ वन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।उधर, दूसरी तरफ भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी ने कहा कि बेजुबान जानवर के मारे जाने का दुख है लेकिन उन परिस्थितियों की भी जांच की जानी चाहिए जिसकी वजह से तेंदुए को गोली मारी गई थी।

गौरतलब है कि वन विभाग की ओर से पकड़ने के लिए लगाए गयेए जाल को तोड़कर तेंदुआ एक मकान में घुस गया। उसने 3 स्थानीय लोगों और एक पुलिसकर्मी को घायल कर दिया, जिसने आत्मरक्षा में फायरिंग की। बाद में घायल तेंदुए को लखनऊ वन्यजीव उद्यान लाया गया जहां बाद में उसकी मौत हो गई थी।