नई दिल्ली, 11 मई 2021

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच देश में एक दवा की चर्चा तेज है कि यह वायरस के असर को कम कर सकती है। इस दवा का नाम आइवरमेक्टिन है। अगर आप कुछ कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हुए लोगों से उनकी दवाइयों के बारे में बात करेंगे तो देखेंगे कई लोग ऐसे मिलेंगे जिन्हें यह दवा जरूर दी गई होगी। इस दवा को कोरोना वायरस के इलाज में रामबाण माना जा रहा है। यही वजह है कि गोवा सरकार के राज्य में सभी को इस दवा को देने का फैसला किया है जिसके बाद इस दवा के बारे में हर कोई जानना चाह रहा है।

डब्ल्यूएचओ ने दवा को न लेने की दी है सलाह

गोवा सरकार ने फैसला किया है कि कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए राज्य में 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को आइवरमेक्टिन दवा देने का फैसला किया है। राज्य सरकार के इस फैसले को लेकर चर्चा इसलिए भी है क्योंकि डब्ल्यूएचओ ने आइवरमेक्टिन दवा को कोरोना मरीजों को न देने की सलाह दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इसका इस्तेमाल केवल क्लीनिकल ट्रायल में किया जा सकता है डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि किसी दवा के लिए उसकी सुरक्षा और असर बेहद आवश्यक है।

इस बीच एक अमेरिकी जर्नल में प्रकाशित स्टडी में दावा किया गया है कि दवा का नियमित इस्तेमाल कोविड-19 के संक्रमण के खतरे को काफी हद तक कम कर देता है।

आइवरमेक्टिन पर अलग-अलग दावों के चलते भ्रामक स्थिति बनी हुई है जैसे क्या इस दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है? इस दवा पर स्वास्थ्य मंत्रालय का क्या कहना है ? और सबसे जरूरी बात कि यह दवा कितनी असरदार है?

क्या है आइवरमेक्टिन?

आइवरमेक्टिन का इस्तेमाल परजीवी संक्रमण के इलाज में किया जाता है। मुंह से दी जाने वाली यह 1980 के दशक से प्रयोग में है। मुख्य रूप से यह सिर की जूं के लिए क्रीम और लोशन में इस्तेमाल की जाती रही है। वहीं अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने आंतों के स्ट्रॉन्गलोडायसिसि और ऑन्कोसेरिएसिस के इलाज के लिए इसको टैबलेट के रूप में भी मंजूरी दी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय का क्या कहना है?

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक हल्के और एसिम्पटोमेटिक कोविड -19 मामलों में होम आइसोलेशन के साथ ही 3 से 5 दिनों में बुखार न उतरने पर आइवरमेक्टिन टैबलेट (दिन में एक बार 200 mcg/kg) खाली पेट लेने का सुझाव दिया है।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा ‘हल्की बीमारी वाले लोगों को किसी दवा की आवश्यकता नहीं है। सीमित आंकड़ों के आधार पर आइवरमेक्टिन या हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ले सकता है, लेकिन बहुत अधिक दवाइयां लेने की आवश्यकता नहीं है।’

गोवा ने क्यों सभी के लिए दी मंजूरी?

गोवा में अभी तक 18-44 आयु वर्ग के लिए टीकाकरण कार्यक्रम के साथ सरकार ने मृत्यु दर में कमी लाने के लिए 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को आइवरमेक्टिन देने का फैसला किया है। स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने कहा कि आइवरमेक्टिन 12 mg 18 वर्ष से अधिक आयु वालों को पांच दिनों के लिए दिया जाएगा।

विश्वजीत राणे ने ट्वीट किया, ‘हालांकि, यह कोविड -19 संक्रमण को नहीं रोकता है लेकिन बीमारी की गंभीरता को कम करने में मदद करता है और साथ ही सुरक्षा और शालीनता को लेकर किसी के मन में शंका नहीं होनी चाहिए।’

हालांकि विशेषज्ञ इस दवा को लेकर कुछ बदलाव की मांग भी कर रहे हैं। आईएमए के गोवा प्रमुख डॉ. विनायक बुवाजी ने पीटीआई भाषा से कहा कि केवल पांच दिनों के लिए टैबलेट देना पूरी तरह प्रभावी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि 60 किलोग्राम से कम वजन वालों को आइवरमेक्टिन 12 मिलीग्राम की खुराक दी जबकि 60 किलोग्राम से अधिक वजन वाले लोगों को 18 मिलीग्राम की खुराक दी जानी चाहिए। इसके साथ ही वह इस दवा को पहली, तीसरे और सातवें दिन के बाद एक सप्ताह तक एक खुराक लेने की सलाह देते हैं।

आइवरमेक्टिन को लेकर अमेरिकी रिसर्च

अमेरिकन जर्नल ऑफ थेरेपेटिक्स के मई-जून अंक में प्रकाशित एक व्यापक शोध में पाया गया कि ‘आइवरमेक्टिन के नियमित उपयोग से कोविड -19 को अनुबंधित करने का जोखिम काफी कम हो सकता है।’

शोधकर्ताओं ने कोविड -19 रोगियों में आइवरमेक्टिन के साथ इलाज करने पर मृत्यु दर, रिकवरी और वायरल के कम होने में बड़ी संख्या में कमी पाई गई। इसके लिए 2500 रोगियों के ऊपर अध्ययन का विश्लेषण किया गया था।

आइवरमेक्टिन के साइड इफेक्ट

अमेरिकी नियामक एफडीए के अनुसार आइवरमेक्टिन के साथ जुड़े कुछ दुष्प्रभावों में त्वचा में लाल चकत्ते, मतली, उल्टी, दस्त, पेट में दर्द, चेहरे या अंग में सूजन, न्यूरोलॉजिकल समस्या जैसे चक्कर आना और दौरे पड़ना, शामिल हैं। इसके साथ ही ब्लड प्रेशर अचानक से कम होना और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी पड़ सकती है।