जैन

जैन धर्म के पांच सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है राजस्थान में अरावली पर्वत की घाटियों के बीच स्थित रणकपुर का जैन मंदिर। इस मंदिर की अपनी कई विशेषताएं, जिसके कारण पर्यटक भारी संख्या में यहां खींचे चले आते हैं।

कहा जाता है कि चारों तरफ से जंगलों से घिरे होने के कारण इस मंदिर की भव्यता अलग ही दिखती है। भारत में जितने भी जैन मंदिर हैं, उन सभी में इस मंदिर की इमारत सबसे विशाल और भव्य है।

गर्मी के मौसम में यहां का तापमान अधिक होता है। इसलिए घूमने जाने के लिए सर्दी का मौसम बेहतर माना जाता है। जनवरी, फरवरी और मार्च का महीना यहां घूमने के लिए आपके लिए बेहतर होगा।

रणकपुर मंदिर उदयपुर से 96 किलोमीटर की दूरी पर पाली जिले में स्थित है। टूरिस्ट्स के बीच ये मंदिर काफी लोकप्रिय है। इस मंदिर की भव्यता टूरिस्टों का मन मोह लेती है. यहां जाकर लोग सुकून महसूस करते हैं।


बताया जाता है कि इस भव्य जैन मंदिर का निर्माण 1439 ई में किया गया था। खास बात ये है कि ये मंदिर करीब 484000 वर्ग फुट में फैला है और इसे बनाने में 99 लाख रुपये का खर्च आया था।


बताया जाता है कि महाराणा कुम्भा ने एक दिव्य सपना देखा था, जिसके बाद उन्होंने एक जैन व्यापारी धर्ना शाह को जमीन भेंट कर दी और उन्होंने अपने संरक्षण में मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाया। ये इस मंदिर का एक अनोखा इतिहास है। रणकपुर का नाम महाराणा कुम्भा के नाम पर है। ये मेवाड़ के शासक थे, जिन्होंने एक मंदिर के निर्माण के लिए अपनी जमीन की पेशकश की थी।


इस मंदिर में चारों तरफ से द्वार हैं। इस मंदिर के बीच में प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ की मूर्ति स्थापित है। इसे रणकपुर का चौमुखा मन्दिर कहा जाता है।

प्रकृति प्रेमी और एडवेंचर में विश्वास रखने वालों के लिए ये जगह बिलकुल अनुकूल है। यहां अरावली की पहाड़ियों से आप बेहतरीन नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं।