Bheema-koregaon Agitation, Jignesh Mewani, Umar Khalid, Tiffin Service, Internet Service, Bus Service

मुंबई/पुणे: महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिराह के दौरन हुई हिंसा की आग मुंबई समेत राज्य के कई शहरों में फैल गई। दलित प्रदर्शनकारियों ने कई बसों को क्षतिग्रस्त किया और सड़क तथा रेल यातायात को बाधित किया। भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के दौरान कल पुणे में दलित समूहों और दक्षिणपंथी हिन्दू संगठनों के बीच कल संघर्ष हो गया था जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। हिंसा के कारण बुधवार को भी राज्य के दैनिक जीवन पर असर देखने को मिला।

आज कई गुटों ने महाराष्ट्र बंद का ऐलान किया है। मुंबई के मशहूर डब्बावालों ने भी अपनी सर्विस को ठप्प रखने का फैसला किया है। उन्होंने अपने ग्राहकों से खुद अपना टिफिन लाने को कहा है। इसके अलावा महाराष्ट्र बंद के कारण स्कूल बसों की सर्विस बंद रहेगी। मुंबई में करीब 40,000 स्कूल बस बंद रहेंगी, स्कूलों ने अभिभावकों से अपने वाहन से ही बच्चों को स्कूल छोड़ने को कहा है। वहीं प्रदर्शनकारियों ने आज ठाणे के पास ट्रेन रोकी। ठाणे इलाके में चार जनवरी की रात तक धारा 144 लागू रहेगी।

क्या है भीमा कोरेगांव की लड़ाई

भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास उत्तर-पू्र्व में हुई थी। यह लड़ाई महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी। अंग्रेजों की तरफ 500 लड़ाके, जिनमें 450 महार सैनिक थे और पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28,000 पेशवा सैनिक थे, मात्र 500 महार सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली 28 हजार मराठा फौज को हरा दिया था। हर साल नए साल के मौके पर महाराष्ट्र और अन्य जगहों से हजारों की संख्या में पुणे के परने गांव में दलित पहुंचते हैं, यहीं वो जयस्तंभ स्थित है जिसे अंग्रेजों ने उन सैनिकों की याद में बनवाया था, जिन्होंने इस लड़ाई में अपनी जान गंवाई थी। कहा जाता है कि साल 1927 में डॉ. भीमराव अंबेडकर इस मेमोरियल पर पहुंचे थे, जिसके बाद से अंबेडकर में विश्वास रखने वाले इसे प्रेरणा स्त्रोत के तौर पर देखते हैं।