पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर पलटवार किया है। दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर ममता बनर्जी ने कहा, ‘कोई मेरा गला काट सकता है, लेकिन मुझे यह नहीं बता सकता है कि क्या करना है।’

ममता ने कहा कि, जब मैं दुर्गा पूजा या गणेश उत्सव का शुभारंभ करती हूं तो तुष्टिकरण का आरोप नहीं लगता लेकिन ईद की नमाज अदा कर लूं तो विरोधी ऐसा आरोप लगाने लगते हैं। अगर ये तुष्टिकरण है तो मैं जब तक जीवित हूं, ऐसा करती रहूंगी। अगर कोई मेरे माथे पर बन्दूक भी रख दे तब भी मैं यही करूंगी। मैं किसी से भेदभाव नहीं करती। ये बंगाल की संस्कृति है, ये मेरी संस्कृति है।

वहीँ, बीजेपी नेता विजयवर्गीय ने कहा कि अगर किसी सरकार को न्यायपालिका यह कह दे कि आप कानून व्यवस्था की स्थिति में मेंटेन करने में फेल है, तो सरकार को बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि. ममता सरकार को कहना चाहिए कि हिंदू भाई अपना त्योहार मनाएं और मुस्लिम भाई अपना त्यौहार मनाएं…देखती हूं मैं खड़ी होती हूं। कौन गड़बड़ करता है। यह दमदार मुख्यमंत्री और सरकार का काम होता है। यह तुष्टिकरण की राजनीति की हार है।

बता दें कि, कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को फटकार लगाते हुए पश्चिम बंगाल में मूर्ति विसर्जन के मुद्दे पर कहा कि प्रतिबंध लगाना सबसे आखिरी विकल्प है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा है कि, कोर्ट ने कहा कि आखिरी विकल्प का इस्तेमाल सबसे पहले क्यों, सरकार को सिलसिलेवार तरीके से कदम उठाने होंगे।

हाईकोर्ट ने कहा है कि, “सरकार को प्रतिबंध लगाना तो सभी पर क्यों नहीं लगाया। सरकार बिना आधार अधिकार का इस्तेमाल कर रही है। सरकार कैलेंडर को नहीं बदल सकती है, क्योंकि आप सत्ता में हैं इसलिए दो दिनों के लिए बलपूर्वक आस्था पर रोक नहीं लगा सकते हैं। सरकार को हर हालात के लिए तैयार रहना होगा।’