इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि शिक्षकों की भर्ती के आवेदन पत्र की अंतिम तिथि के दिन अभ्यर्थी का अर्ह होना चाहिए। अंतिम तिथि के बाद यदि कोई अभ्यर्थी बैकपेपर से बीटीसी पास होता है तो वह शिक्षक की नियुक्ति के लिए अर्ह नहीं है। कोर्ट ने कहा कि बैकपेपर से बीटीसी पास होने का मतलब यह कदापि नहीं हो सकता कि अभ्यर्थी को भूतलक्षी प्रभाव से शिक्षक पद के लिए अर्ह माना जाए।

यह निर्णय न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने शिक्षक भर्ती की अभ्यर्थी अंजली सिंह की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याचिका में याची ने सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की मांग की थी। याची की नियुक्ति की मांग पर इस आधार पर अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया क्योंकि उसके पास आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 22 दिसम्बर 2018 तक बीटीसी पास होने की निर्धारित योग्यता नहीं थी। याची ने बैकपेपर से बीटीसी परीक्षा 2019 में पास की।

याची का कहना था कि पांच मार्च 2021 के शासनादेश में यह व्यवस्था दी गई है कि बीटीसी के नम्बर में किसी भी प्रकार का परिवर्तन जो बैकपेपर से होगा, अधिकारी उसका भी संज्ञान लेंगे जबकि याची की इस मांग को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शाहजहांपुर ने पहले ही मानने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि याची को पांच मार्च 2021 के शासनादेश का लाभ नहीं मिल सकता।

हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि कानून का प्रतिपादित सिद्धांत है कि किसी भी अभ्यर्थी के योग्यता का परीक्षण प्रार्थना पत्र देने की अंतिम तिथि तक होना चाहिए। याची शिक्षक के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 22 दिसम्बर 2018 तक बीटीसी की योग्यता नहीं रखती थी। हाईकोर्ट ने कहा कि केवल इस आधार पर कि याची बैकपेपर से बीटीसी परीक्षा पास हो गई है, इसका मतलब यह नहीं कि उसे भूतलक्षी प्रभाव से शिक्षक पद के लिए अर्ह माना जाए।