Rape

चंडीगढ़ के सरकारी अस्पताल में दस साल की पीड़िता ने गुरुवार को एक लड़की को जन्म दिया। बच्ची से उसके चाचा अक्सर दुष्कर्म किया करते थे। सूत्रों ने बताया कि अस्पताल में नवजात को वजन कम होने कि वजह से डॅाक्टरों की निगरानी में रखा गया है। हालांकि कि मां और नवजात बच्ची की हालत स्थिर है।

आपको बता दें कि बच्ची सेक्टर 32 के गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बीते दो दिनों से भर्ती थी। बच्ची का प्रसव सिजेरियन सर्जरी से कराया गया था बाकि के समय बच्ची के साथ चिकित्सकों का एक दल उसके स्वास्थ्य की निगरानी में लगा था।

सुप्रीम कोर्ट ने बीते महीने दुष्कर्म से पीड़ित बच्ची को गर्भपात कराने की अनुमति देने की मांग की याचिका को खारिज कर दिया गया था। चूंकि गर्भपात समय बीत जाने से उसके जीवन को खतरा होने को देखते हुए कोर्ट ने यह कदम उठाया था।

प्रधान न्यायाधीश जे. एस. खेहर और डी. वाई. चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद याचिका को नामंजूर कर दिया था। इस बोर्ड को चंडीगढ़ पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) ने कोर्ट के आदेश पर गर्भवती बच्ची की जांच के लिए कहा था। जिसमें गर्भपात से लड़की के जीवन को खतरे की चेतावनी दी गई थी।

कोर्ट ने कहा था कि “मेडिकल बोर्ड द्वारा की गई सिफारिश को ध्यान में रखते हुए हम मानते हैं कि न तो यह लड़की के हित में होगा और न ही 32 सप्ताह के भ्रूण के हित में इसलिए हम गर्भपात को अस्वीकार करते हैं।”

यह आदेश वकील आलोक श्रीवास्तव की एक जनहित याचिका पर आया था। जिन्होंने 18 जुलाई को चंडीगढ़ की जिला अदालत द्वारा गर्भपात कराए जाने से इनकार करने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।