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नई दिल्ली,  ईरान के पेट्रोलियम मंत्री तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) की बैठक छोड़कर बाहर चले गए। दरअसल, सऊदी अरब ओपेक देशों से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहा है, जिसके चलते दोनों देशों के बीच तनातनी बढ़ गई है।

क्रूड प्रोडक्शन बढ़ाने पर जोर
ओपेक बैठक की पूर्व संध्या पर आयोजित मंत्रियों के समूह ने तेल उत्पादन बढ़ाने को लेकर चर्चा की। इसके बाद ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजान नामदार जंगानेह ने संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे नहीं लगता है कि हम किसी समझौते तक पहुंच सकते हैं।’ इस वार्ता को ओपेक बैठक की तैयारी के रूप में देखा जा रहा था। 14 सदस्यीय ओपेक देशों के बीच आज बैठक होनी है। बैठक में कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाने पर चर्चा होने की उम्मीद है।

जनवरी 2017 से उत्पादन में कटौती जारी है लेकिन अब सऊदी अरब ने कच्चे तेल की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाने की वकालत की है। इस मामले में रूस सऊदी अरब का समर्थन कर रहा है। हालांकि, उत्पादन बढ़ाने के प्रस्ताव का ईरान, इराक और वेनेजुएला ने विरोध किया है। इन देशों को लगता है कि तुरंत उत्पादन बढ़ाने से इन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और इनकी बाजार हिस्सेदारी तथा राजस्व का नुकसान होने का डर है।

कच्चे तेल का उत्पादन मई महीने में 3% घटा
भारत में घरेलू कच्चे तेल का उत्पादन मई में 3 प्रतिशत घटकर 30 लाख टन से अधिक रहा। सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी द्वारा परिचालित फील्ड से उत्पादन कम होने के कारण कुल उत्पादन घटा है। आधिकारिक बयान के अनुसार ओएनजीसी ने मई में 18.4 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन किया, जो पिछले साल इसी महीने में 19.3 लाख टन था।

कंपनी का उत्पादन अप्रैल-मई में 4.3 प्रतिशत घटकर 36.2 लाख टन था। इसके परिणामस्वरूप देश का तेल उत्पादन 59 लाख टन रहा, जो इससे पूर्व वर्ष 2017 के अप्रैल-मई महीने में 60.3 लाख टन था। प्राकृतिक गैस का उत्पादन मई महीने में 1.4 प्रतिशत घटकर 2,768 अरब घन मीटर रहा। इसका कारण रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियों से उत्पादन घटना है। हालांकि तेल रिफाइनरियों का आलोच्य महीने में उत्पादन 6.8 प्रतिशत बढ़कर 2.22 करोड़ टन रहा।