जापान (Japan) की संसद ने पूर्व विदेश मंत्री फुमिओ किशिदा (Fumio Kishida) को सोमवार को देश का नया प्रधानमंत्री  (Japan Prime Minister) चुना. किशिदा पर आसन्न राष्ट्रीय चुनाव से पहले कोरोना वायरस वैश्विक महामारी और सुरक्षा चुनौतियों से तेजी से निपटने की चुनौती है. किशिदा ने योशिहिदे सुगा का स्थान लिया है. सुगा और उनकी कैबिनेट ने दिन की शुरुआत में इस्तीफा दे दिया था. किशिदा और उनकी कैबिनेट के सदस्य आज ही, बाद में शपथ ग्रहण करेंगे.

कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से निपटने के तरीकों और संक्रमण के बाजवूद ओलंपिक खेलों के आयोजन पर अड़े रहने की वजह से लोकप्रियता में कमी आने के कारण सुगा ने केवल एक साल पद पर रहने के बाद ही इस्तीफा दे दिया था. जापान के पूर्व विदेश मंत्री किशिदा ने सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता पद का चुनाव पिछले सप्ताह जीत लिया था.

 

किशिदा ने पार्टी के नेता पद के मुकाबले में लोकप्रिय टीकाकरण मंत्री तारो कोनो को हराया था. उन्होंने पहले चरण के चुनाव में दो महिला उम्मीदवारों सना तकाइची और सेइको नोडा को पराजित किया था. उनकी जीत से प्रदर्शित होता है कि किशिदा को अपनी पार्टी के दिग्गजों का समर्थन मिला, जिन्होंने कोनो द्वारा समर्थित बदलाव के बजाय स्थिरता को चुना. कोनो को स्वतंत्र विचारों वाले व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है. किशिदा को एक शांत उदारवादी के रूप में जाना जाता था, लेकिन जाहिर तौर पर पार्टी में प्रभावशाली रूढ़िवादियों का समर्थन हासिल करने के लिए उन्होंने आक्रामक नेता की छवि बनाई.

जापानी मीडिया ने बताया कि सुगा की 20 सदस्यीय कैबिनेट के दो सदस्यों को छोड़ कर शेष सभी के स्थान पर नए नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. अधिकतर पदों पर उन नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जिन्होंने पार्टी में हुए चुनाव में किशिदा को समर्थन दिया था. कैबिनेट में केवल तीन महिला नेता शामिल होंगी.

 

जापान की कूटनीति और सुरक्षा नीतियों की निरंतरता सुनिश्चित करते हुए विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी और रक्षा मंत्री नोबुओ किशी को कैबिनेट में बनाए रखा जाएगा. जापान, क्षेत्र में चीन की गतिविधियों और बढ़ते तनाव के मद्देनजर अमेरिका के साथ मिलकर द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर निकटता से काम करना चाहता है. किशिदा जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा के आर्थिक आयामों से निपटने के उद्देश्य से एक नया कैबिनेट पद बनाएंगे, जिसमें 46 वर्षीय ताकायुकी कोबायाशी को नियुक्त किया जाएगा, जो संसद में अपेक्षाकृत नए हैं.

किशिदा जापान एवं अमेरिका के बीच करीबी सहयोग और एशिया एवं यूरोप में समान विचारों वाले अन्य देशों के साथ साझेदारी का समर्थन करते हैं, जिसका एक उद्देश्य चीन और परमाणु हथियार संपन्न उत्तर कोरिया का मुकाबला करना भी है. नवंबर के मध्य में होने वाले आम चुनाव से पहले संसद के निचले सदन को भंग करने से पहले किशिदा संभवत: इस सप्ताह के अंत में अपनी नीतियों संबंधी भाषण देंगे.

नए नेता पर पार्टी की छवि को सुधारने का दबाव होगा, जो सुगा के नेतृत्व में कथित तौर पर धूमिल हुई है. कोरोना वायरस महामारी से निपटने के तौर तरीकों और तोक्यो में ओलंपिक कराने पर अड़े रहने को लेकर सुगा के प्रति जनता में आक्रोश पैदा हो गया. परंपरावादी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) को आने वाले दो महीनों में संसद के निचले सदन के चुनाव से पहले शीघ्र ही जन समर्थन अपने पक्ष में करने की जरूरत है.

किशिदा ने कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था और घटती जनसंख्या तथा जन्मदर की समस्याओं सहित राष्ट्रीय संकटों से निपटने का पिछले सप्ताह वादा किया था. किशिदा ने जापान की रक्षा क्षमता और बजट बढ़ाने का आह्वान किया और स्वशासित ताइवान को लेकर उपजे तनाव पर चीन के खिलाफ खड़े रहने का संकल्प लिया.

किशिदा ने नव पूंजीवाद के तहत वृद्धि और वितरण का आह्वान करते हुए कहा कि जापान में सबसे अधिक समय तक प्रधानमंत्री रहे शिंजो आबे के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था ने केवल बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाया. किशिदा, 2020 में सुगा से पार्टी नेतृत्व की दौड़ में हार गये थे. किशिदा हिरोशिमा का प्रतिनिधित्व करने वाले तीसरी पीढ़ी के नेता हैं. वह 1993 में पहली बार संसद के लिए निर्वाचित हुए थे. वह परमाणु निरस्त्रीकरण के पैरोकार हैं.