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इस साल 13 सितंबर से गणेश चतुर्थी का पर्व शुरू हो जाएगा। अगर आप भी गणपति को घर में विराजित करते हैं तो

Acharya Bhanu SHarma
आचार्य भानू शर्मा

यहां जानिए पूजा की सही विधि और गणपति स्थापना का सही तरीका…

सबसे पहले करें यह काम

गणेश चतुर्थी पर पूजा के लिए जरूरी है कि बाजार से गणपति की एक नई प्रतिमा लाई जाए। यदि आप प्रतिमा स्थापित नहीं करना चाहते हैं तो एक साबुत पूजा सुपारी को गणपति स्वरूप मानकर उसे भी घर में स्थापित कर सकते हैं।

स्थापना का सही तरीका

गणपति को घर में विराजने से पहले पूजा स्थल की सफाई कर लें। फिर एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर अक्षत रखें और उनके ऊपर गणपति को स्थापित करें। इसके बाद गणपति को दूर्वा या पान के पत्ते की सहायता से गंगाजल से स्नान कराएं। पीले वस्त्र गणपति को अर्पित करें या मोली को वस्त्र मानकर अर्पित करें। इसके बाद रोली से तिलक कर अक्षत लगाएं, फूल चढ़ाएं और मिष्ठान का भोग लगाएं। कीर्तन करें। प्रसाद में प्रतिदिन पंचमेवा जरूर रखें।

ऐसे रखें सामान को सही जगह पर

गणपति की चौकी के पास तांबे या चांदी के कलश में जल भरकर रखें। कलश गणपति के दाईं और होना चाहिए। इस कलश के नीचे चावल या अक्षत रखें और इस पर मोली अवश्य बांधें। गणपति के दाईं तरफ घी का दीपक जलाएं। दीपक को कभी भी सीधे जमीन पर न रखें और इसके नीचे भी चावल रखें। पूजा का समय निश्चित रखें। यदि आप माला जप करने का प्रण ले रहे हैं तो प्रतिदिन नियत समय पर उतनी ही माला का जप करें।

संकल्प करना है जरूरी

गणपति की स्थापना के बाद दाएं (सीधे) हाथ में अक्षत और गंगाजल लेकर संकल्प करें। कहें कि हम गणपति को इतने दिनों तक अपने घर में स्थापित करके प्रतिदिन विधि-विधान से पूजा करेंगे। संकल्प में उतने दिनों का जिक्र करें, जितने दिन आप गणपति को अपने घर में विराजना चाहते हों।

(आचार्य भानू शर्मा से ज्योतिष परामर्श के लिए मोबाइल नंबर  8527869295 पर संपर्क कर सकते हैं।)