हरिद्वार, 21 मार्च 2021

अप्रैल से हरिद्वार में कुंभ मेला शुरू हो जाएगा। ऐसे में जो कुंभ पहले कई प्रतिबंधों के साथ शुरू होने जा रहा था, वो अब कोई रोकटोक नहीं चाह रहा है। ऐसा इसलिए की उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की ओर से लिया गया निर्णय बताता है कि राज्य सरकार मेला सभी लोगों के लिए खुले रहने के पक्ष में है। हालांकि ये निर्णय पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की घोषणा के विपरीत है, जिसमें उन्होंने कहा था कि हरिद्वार को एक और ‘वुहान’ बनाने के लिए जोखिम नहीं उठाया जा सकता है।

वहीं अब नए सीएम तीरथ सिंह रावत की बात करे तो उन्होंने कहा था कि केंद्र के दिशा निर्देशों के मुताबिक कोरोना गाइ़लाइन की पालना की जाएगा। शनिवार को हरिद्वार महाकुंभ 2021 के तहत मीडिया सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि केन्द्र द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन्स के अलावा कोई भी पाबंदी कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं पर लागू नहीं होगी। देश और दुनिया के श्रद्धालु हरिद्वार कुंभ क्षेत्र में आ सकते हैं। आवश्यक टेंट लगेंगे, शौचालय बनेंगे और सभी महामंडलेश्वर को जगह व अन्य सुविधाएं दी जाएंगी।

इससे पहले 11 मार्च को 32 लाख से ज्यादा भक्त महाशिवरात्रि के अवसर पर ‘शाही स्नान’ के लिए हरिद्वार पहुंचे थे। वहीं अब 12 अप्रैल, 14 अप्रैल और 27 अप्रैल को और भीड़ बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि इससे पहले भी सीएम तीरथ सिंह रावत इस बात को दोहरा चुके है कि कुंभ के दौरान सभी कोविड के दिशा निर्देशों का पालन करना आवश्यक है, लेकिन मेले में आने वाले लोगों को असुविधा का सामना नहीं करना पड़े इसके लिए भी काम किए जा रहे है। रावत ने कहा था कि लोगों को गंगा में पवित्र डुबकी लगाने से वंचित करने की जरूरत नहीं है। साथ ही उन्होंने इस बात को भी दोहराया था कि अप्रैल में होने वाले तीनों शाही स्नान चुनौतीपूर्ण होंगे।

पर्यटन को पिछले साल लगा था झटका

वहीं अगर इसके पीछे की वजह पर गौर करे तो पहले शुरू में मेला में प्रवेश की अनुमति के बारे में कड़े नियमों की घोषणा से ऐसा लगता था कि सरकार लोगों को धार्मिक होने से रोकने के लिए एक संदेश दे रही है। इधर चुनावी रैलियों में भीड़ की मौजूदगी पर भी सवाल उठाए गए। ऐसे में नवनिर्वाचित सीएम के पास पहला एजेंडा कुंभ मेला है, वहीं कुंभ मेले को खोलने का एक अन्य अपेक्षित कारण यह है कि उत्तराखंड पर्यटन को पिछले साल झटका लगा। यहां तक की कांवड़ यात्रा रद्द होने के साथ चार धाम यात्रा भी सीमित पैमाने पर स्थगित हो गई, जिससे देवभूमि को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में कुंभ मेले से एक नई उम्मीद जगी है।