भारत सरकार ने कहा कि यह क़ानून चीन का एकतरफ़ा रुख़ है. भारत ने कहा कि चीन इस तरह के क़ानून बनाकर दोनों पक्षों के बीच की मौजूदा व्यवस्था को बदल नहीं सकता है क्योंकि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का समाधान होना बाक़ी है.

अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू ने इस ख़बर को पहने पन्ने की दूसरी लीड बनाई है. अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ‘इससे यह भी साबित होता है कि 1963 में चीन-पाकिस्तान समझौते जिसमें पाकिस्तान ने अक्साई चीन की शाक्सगम घाटी चीन के हवाले कर दी थी; उसे भी भारत ने नकार दिया है.

भारत पूरे जम्मू-कश्मीर पर अपना दावा करता है जिसमें अक्साई चीन भी शामिल है और वो पाकिस्तान-चीन समझौते को अवैध बताता है.

अख़बार ने लिखा है कि भारत के हाल के बयानों से संकेत मिलता है कि चीन नए क़ानून के ज़रिए विवादित इलाक़ों में इन्फ़्रास्ट्रक्चर का काम शुरू कर सकता है ताकि उसे आधिकारिक हिस्से के तौर पर दिखाया जा सके.