नई दिल्ली, 16 अप्रैल 2021

नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की भूमि रिकॉर्ड और सर्विस इंडेक्स के अनुसार भूमि रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने का काम देश में काफी तेज और बेहतर तरीके से हो रहा है। बीते एक साल में कोरोना महामारी के बीच भी इस पर काफी अच्छी प्रगति हुई है। कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश पहली बार जमीनों और लेनदेन की जानकारी वेब पॉर्टल पर दे रहे हैं।

लैंड रिकॉर्ड्स एंड सर्विसेज इंडेक्स 2021 (एन-एलआरएसआई) की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार और ओडिशा अब लेनदेन के रजिस्ट्रशन के लिए वेब पोर्टल की सुविधा प्रदान कर रहे हैं। चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव ने अपनी सर्कल दरें वेबसाइट पर उपलब्ध कराई हैं, जबकि चार राज्यों ने पंजीकरण शुल्क के लिए ऑनलाइन सुविधा दी है। ये नागरिकों की सुविधा और भूमि में लेनदेन की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। राज्य अपने रिकॉर्ड और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को अपग्रेड करने के लिए भी कदम उठा रहे हैं।

वार्षिक भूमि रिकॉर्ड और सेवा सूचकांक जारी करनी वाली देश की एजेंसी एनसीएईआर ने 2021 की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि में भूमि रिकॉर्ड और सेवाओं के डिजिटलीकरण में बिहार की प्रगति सबसे तेज है। बिहार 23वें से 8वें नंबर पर आया है। जमीन के डिजिटलीकरण करने के मामले में मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 29 राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों ने पिछले वर्ष के मुकाबले भूमि रिकॉर्ड डिजिटाइज करने में सुधार किया है।

एन-एलआरएसआई को आर्थिक थिंक टैंक एनसीएईआर (नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च) ने तैयार किया है। भूमि रिकॉर्ड और सेवाओं के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया की में सुधार के लिए इसे लाया गया है। इ सूचकांक का पहला संस्करण पिछले साल (2019-2020) जारी किया गया था। ये डेटा मुख्य रूप से दो पहलुओं पर एकत्र किया जाता है। भूमि रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने की सीमा और इन रिकॉर्ड की गुणवत्ता।