कहते हैं कि कानून अंधा होता है और वह गवाह सबूत के आधार पर न्याय अन्याय का फैसला करता है। पीडित को न्याय दिलाने के लिये गवाह सबूत एकत्र करने का कार्य हमारी पुलिस अथवा जाचं एजेसियां करती है।आज गवाह सबूत के अभाव में तमाम जघन्य अपराधी सजा पाने से बच जाते हैं।गवाही देना आजकल आसान नहीं रह गया है क्योंकि अधिकाशं मामले परैवी के अभाव मे अधिकाशं मुकदमे व अपराधी छूट जाते हैं और गवाही देने वाले की जान के दुश्मन बन जाते हैं।अबतक न जाने कितने गवाहों की हत्या हो चुकी है।पुलिस अपने गवाहों की सुरक्षा नही कर पाती है। यहीं कारण होता है कि जल्दी कोई पुलिस का गवाह बनना नही चाहता है।लोगों का भरोसा अदलतो से उठता जा रहा है और लोग मुकदमा छूट जाने की डर से जल्दी गवाही नही देते हैं।आज के एक दशक पहले रौजागाव रेलवे स्टेशन पर एक आतकी हादसा हुआ था जिसमें ट्रेन के डिब्बे को विस्फोट करके जला दिया गया था।इसमेँ कई लोगों की जान भी चली गयी थी। इस घटना के पीछे आतकियों का हाथ होने का दावा करते हुए पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था जिसमें से दो अभियुक्तों की दौरान मुकदमा मौत हो चुकी है।जो दो अभियुक्त जीवित बचे थे उन्हें अदालत ने दो दिन पहले साक्ष्य के अभाव में बाइज्जत रिहा कर दिया है।अदालत ने साक्ष्य न पेश कर पाने के लिए पुलिस पर तीखी टिप्पणी भी की है।अदालत भी जानती हैं कि जिसे वह.छोड़ रही है वह घटना के दोषी थे लेकिन साक्ष्य के अभाव में उसे उन्हें छोडना पडा क्योंकि बिना अपराध साबित हुये वह किसी को सजा नहीं दे सकती है।अदालत की इस कमजोरी का पूरा फायदा अपराधी उठाते हैं और उनके दिल से कानून का भय समाप्त हो जाता है।इस घटना में जिनके घर के लोग इसमें मारे गये थे उन परिवारों के विश्वास पर इस फैसले से गहरा झटका लगा है और उनकी आस्था अदालत कानून और पुलिस तीनों पर से हट गया है।अदालत के इस फैसले से जनमानस मे एक बार फिर आक्रोश फैल गया है तथा लोग इसकी निंदा कर रहे हैं।इस तरह की लापरवाही का परिणाम है कि आतकियों के हौसले पस्त होने की जगह परवान चढ़ते जा रहे हैं।हमारी बहादुर पुलिस या जाचं एजेंसियों को अपनी साख बचाने के लिए इस तरफ विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।अगर इसी तरह लापरवाही से आतकी व जघन्य अपराधी छूटते रहेंगे तो कानून अदालत व पुलिस तीनों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लग जायेगा और देश मे जगँलराज कायम हो जायेगा जो देश के भविष्य के लिए शुभ नहीं कहा जायेगा।