आज साल का आखिरी चंद्र ग्रहण हो रहा है। आंशिक चंद्र ग्रहण का समय 12.48 से शाम 4.17 तक है। जो 580 साल में सबसे लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण है। ये अरुणाचल प्रदेश और असम के सुदूर उत्तर पूर्वी हिस्सों में दिखाई देगा।

इनके अलावा पश्चिमी अफ्रीका, पश्चिमी यूरोप, उत्तर अमरीका, दक्षिण अमरीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अटलांटिक महासागर तथा प्रशांत महासागर के क्षेत्रों में ये चंद्र ग्रहण दिखाई दे रहा है। दुनियाभर में जहां भी ग्रहण दिखाई दे रहा है, वहां से तस्वीरें आ रही हैं। इस आंशिक चंद्र ग्रहण में चंद्रमा धरती के छाया से लगभग 97% ढंक गया, जो लगभग पूर्ण चंद्र ग्रहण जैसा ही दिखाई दिया।

क्यों है सबसे लंबा चंद्र ग्रहण
चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी से बहुत दूरी पर है। इस दौरान चंद्रमा की गति बेहद धीमी होती है। इसलिए चंद्रमा पृथ्वी की छाया से भी धीरे-धीरे निकलेगा। इस तरह ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी की भीतरी छाया में ज्यादा देर तक रहेगा। इसलिए ये आंशिक चंद्र ग्रहण बहुत लंबा रहेगा।
इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी की छाया के बाहरी और आंतरिक दोनों हिस्सों से होकर गुजरेगा। चंद्रमा पर पृथ्वी की बाहरी छाया तकरीबन 6 घंटे रहेगी जबकि पृथ्वी की भीतरी और गहरी छाया चंद्रमा पर 3 घंटे से ज्यादा समय तक रहेगी। इससे पहले इतनी देर के लिए चंद्र ग्रहण 18 फरवरी 1440 को हुआ था और अब ऐसा ही 8 फरवरी 2669 को लगेगा।

उपछाया यानी आंशिक चंद्र ग्रहण ग्रहण
ग्रहण की शुरुआत से पहले चंद्रमा धरती की उपच्छाया में आ जाता है। चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में होता है तभी उसे पूर्ण चंद्र ग्रहण माना जाता है। लेकिन चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर आ जाता है, तो उसे उपच्छाया ग्रहण कहते हैं। ज्योतिष में भी उपच्छाया को ग्रहण का दर्जा नहीं दिया गया है। इस लिहाज से उपच्छाया ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है। इस तरह पृथ्वी की छाया चांद के कुछ हिस्से पर पड़ने की वजह से इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं।

क्या कहते हैं ज्योतिषी
59 साल बाद गुरु-शनि के मकर राशि में रहते हुए ये चंद्र ग्रहण हो रहा है। ऐसी स्थिति 59 साल पहले 19 फरवरी 1962 को बनी थी। आज वृष राशि में ये ग्रहण हो रहा है। इस राशि में चंद्रमा अपनी उच्च स्थिति में मौजूद है और शनि खुद की राशि में है। ग्रहों की ये स्थिति मौसम में बड़े बदलाव लाने वाली रहेगी। इससे देश के कई हिस्सों में बारिश और ठंड बढ़ेगी। उत्तरी हिस्सों में लैंडस्लाइड का अंदेशा है। साथ ही देश में कुछ जगहों पर भूकंप के झटके महसूस होने की भी आशंका बन रही है।

धार्मिक महत्व नहीं
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि एक ग्रहण की पांच स्थितियां होती हैं। स्पर्श, सम्मिलन, मध्य, उन्मीलन और मोक्ष। जब कोई भी ग्रहण इन पांचों से होकर गुजरता है तभी सूतक और नियमों का पालन करना पड़ता है। आज हो रहा चंद्र ग्रहण देश के कुछ ही हिस्सों में रहेगा साथ ही मोक्ष यानी ग्रहण खत्म होने से कुछ मिनट पहले ही दिखेगा। इसलिए पूरे देश में सूतक मान्य नहीं होगा।