sardar sarovar dam

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार 17 सितम्बर को अपना 67वां जन्मदिन मना रहें हैं। सबसे पहले मोदी अपने गृह राज्य गुजरात के गांधीनगर पहुंचे और अपनी मां हीराबेन से आशीर्वाद लिया। अब वह दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना का लोकार्पण करेंगे। सरदार सरोवर बांध देश को समर्पित करने के साथ यहां दो रैलियों को भी संबोधित करेंगे।

मोदी सरदार सरोवर बांध परियोजना और सरदार वल्लभ भाई पटेल की याद में बने ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का भी दौरा करेंगे। इस बांध की ऊंचाई हाल ही में बढ़ाकर 138.68 मीटर की गई है।

सरदार पटेल ने नर्मदा नदी पर बांध बनाने की पहल 1945 में की थी। सरदार सरोवर बांध की नीव भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 5 अप्रैल, 1961 में रखी थी। इस बांध परियोजना और इस पर बनी विद्युत परियोजना से चार राज्यों गुजरात, महाराष्ट, राजस्थान और मध्य प्रदेश को लाभ मिलेगा।
इस पर 65 हजार करोड़ रुपये हुए खर्च हो चुके हैं। इसकी ऊंचाई 138.68 मीटर है जो देश में बना सबसे ऊंचा बांध। नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2014 में महज 20 दिन के कार्यकाल में नर्मदा बांध (सरदार सरोवर) की ऊंचाई 121. 92 मीटर से बढ़ाकर 138.72 मीटर (455 फीट) तक किए जाने की अनुमति दी थी। यह कार्य सितंबर 2017 तक पूरा होना था।

बिजली का सबसे अधिक 57% हिस्सा मध्य प्रदेश को मिलेगा। महाराष्ट्र को 27% और गुजरात को 16% बिजली मिलेगी। .राजस्थान को सिर्फ पानी मिलेगा। इसमें 30 दरवाजे हैं, हर दरवाजे का वजन 450 टन है। इसमें 4.73 मिलियन क्यूबिक पानी जमा करने की क्षमता है। इस बांध से 6000 मेगावॉट बिजली पैदा होगी। बांध बनाने में 86.20 लाख क्यूबिक मीटर कॉन्क्रीट का प्रयोग हुआ है। इतने कंक्रीट में जमीन से चंद्रमा तक सड़क बनाई जा सकती है। यहां के 15 जिलों के 3137 गांवों के 18.45 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी।

बता दें कि सरदार सरोवर बांध को लेकर 1985 में जबरदस्त विरोध हुआ था। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की अगुवाई में डैम का निर्माण रोकने की कोशिश हुई थी तब से लेकर आज तक विरोध जारी है।