पंजाब के लुधियाना में जहरीली गैस से 11 लोगों की मौत के मामले पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) सख्त है। एनजीटी ने मंगलवार को कहा कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए पर्यावरण नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना राज्य का दायित्व है। एनजीटी ने लुधियाना के जिला मजिस्ट्रेट को जहरीली गैस से मरने वाले 11 लोगों के परिवारों को 20-20 लाख रुपये देने का निर्देश दिया।

रविवार की सुबह लुधियाना के घनी अबादी बाले इलाके ग्यासपुरा में गैस का रिसाव हुआ था। इस हादसे में तीन बच्चों समेत 11 लोगों की जान गई थी। मरने वाले पांच लोग एक ही परिवार के थे। 11 मृतक उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले थे। ग्यासपुरा में बहुत अधिक प्रवासी आबादी है। जांच में हवा में हाइड्रोजन सल्फाइड के उच्च स्तर का पता चला और अधिकारियों को संदेह है कि यह एक सीवर से निकला है।

घटना के बाद पंजाब सरकार ने मृतक के परिवार को दो-दो लाख रुपये और प्रभावित लोगों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की थी। वहीं केंद्र सरकार ने भी इतनी ही आर्थिक सहायता देने का एलान किया था।

मीडिया रिपोर्टों के आधार पर घटना का एनजीटी ने स्वत: संज्ञान लिया। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने आठ सदस्यीय तथ्यान्वेषी संयुक्त समिति का गठन किया। इसका नेतृत्व पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष करेंगे।

आठ सदस्यीय समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर), औद्योगिक विष विज्ञान अनुसंधान केंद्र (लखनऊ), पीजीआई चंडीगढ़ के निदेशक, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के नामित, पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, लुधियाना जिला मजिस्ट्रेट और लुधियाना नगर निगम के आयुक्त शामिल होंगे। पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा। समिति मंगलवार से एक सप्ताह के भीतर बैठक करेगी है और एक महीने के भीतर तथ्यों की जांच करेगी।

समिति जान गंवाने वाले लोगों के बारे में जानकारी हासिल करेगी। वहीं प्रभावित लोगों पर गैस के असर का आंकलन करेगी। समिति ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भविष्य में किए जाने वाले उपायों की सिफारिश भी कर सकती है। एनजीटी ने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए पर्यावरणीय मानदंडों का पालन सुनिश्चित करना राज्य का दायित्व है।