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नई दिल्‍ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को प्रथम पीआइओ सांसद सम्‍मेलन का उद्घाटन करते हुए विदेशों से आए भारतीय मूल के सांसदों का देश में स्‍वागत किया। उन्‍होंने सम्‍मेलन को भारतीय मूल का ‘मिनी वर्ल्‍ड पार्लियामेंट’ कहा। इस सम्‍मेलन में 23 देशों से करीब 140 सांसद व मेयर शामिल हुए हैं। यह विश्व राजनीति में भारत के लिए महत्वपूर्ण घटना है, जो किसी अन्य देश के प्रवासियों यानी डायस्पोरा के संदर्भ में अभी तक देखने को नहीं मिली है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं विदेशों से आए भारतीय मूल के नागरिकों का 125 करोड़ हिंदुस्‍तानियों की तरफ से स्‍वागत करता हूं। सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, हमारा भारत बदल रहा है। विश्‍व बैंक, आइएमएफ भारत की ओर उम्‍मीदों के साथ देख रहा है। हमने देश का आर्थिक एकीकरण किया है। रिफार्म टू ट्रांसफार्म हमारी नीति है। लोगों की अपेक्षाएं चरम पर है। आपकी तरक्‍की से भारतवासी खुश होते हैं। देश बहुत आगे बढ़ चुका है।”

प्रधानमंत्री ने अपना पक्ष स्‍पष्‍ट करते हुए कहा, “किसी के स्रोतों या जमीन पर हमारी नजर नहीं है, हमारा फोकस हमेशा क्षमता के निर्माण और विकास पर होता है। 21वीं सदी एशिया की सदी होगी और भारत इसमें महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आप सब हमारे विकास पर गर्व महसूस करेंगे।”

इससे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने सम्‍मेलन को संबोधित किया। उन्‍होंने कहा,’यदि आज विश्‍व पर भारत का प्रभाव बढ़ा है तो इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है। जब पीएम जी-20 में गए तब सेंटर स्‍टेज पर काला धन लाए और नोटबंदी और जीएसटी जैसा दुस्‍साहस वाला निर्णय लिया। जैसा पहले था, वैसे ही चलता रहेगा, कुछ बदलेगा नहीं’, वाली सोच से भारत अब बहुत आगे बढ़ चुका है। भारत के लोगों की आशाएं-आकांक्षाएं इस समय उच्चतम स्तर पर हैं। व्यवस्थाओं में हो रहे संपूर्ण परिवर्तन का परिणाम आपको हर सेक्टर में नजर आएगा। ‘

भारतीय मूल की ‘मिनी वर्ल्‍ड पार्लियामेंट’

पीएम ने सम्‍मेलन को मिनी वर्ल्‍ड पार्लियामेंट का नाम दिया और कहा, राजनीति की बात करूं तो, मैं देख ही रहा हूं कि कैसे भारतीय मूल की एक मिनी वर्ल्‍ड पार्लियामेंट मेरे सामने उपस्थित है। आज भारतीय मूल के लोग मॉरीशस, पुर्तगाल और आयरलैंड में प्रधानमंत्री हैं। भारतीय मूल के लोग और भी बहुत से देशों में उच्‍चाधिकारी हैं। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि भारतीय मूल के प्रवासी जहां भी गए, वहीं पूरी तरह रम गए, उस जगह को अपना घर बना लिया। उन्होंने जहां एक तरफ खुद में भारतीयता को जीवित रखा, तो दूसरी तरफ वहां की भाषा, वहां के खान-पान, वहां की वेश-भूषा में भी पूरी तरह घुल-मिल गए।

‘सबका साथ सबका विकास’

आसियान देशों से हमारे मज़बूत संबंधों को हमने आसियान संगठन के साथ संबंध बढ़ाकर और भी ठोस रुप प्रदान किया है। भारत-आसियान संबंधों का भविष्य कितना उज्जवल है, इसकी झांकी अब से कुछ दिनों बाद गणतंत्र दिवस पर पूरी दुनिया देख सकेगी। जहां वैश्विक समाज अलग-अलग स्तरों और विचारधाराओं में बंट रहा है, वहां आप भारत की ‘सबका साथ सबका विकास’ का उदाहरण दे सकते हैं।

पीएम ने भारतीय सभ्‍यता और संस्‍कृति को भी किया याद

दुनिया के अस्थिरता से भरे वातावरण में भारतीय सभ्यता और संस्कृति के मूल्य, पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर सकते हैं। जहां विश्व में चरमपंथ और कट्टरता के बारे में चिंता बढ़ रही है, वहां आप दुनिया को भारतीय संस्कृति के “सर्व पंथ समभाव” का संदेश दुहरा सकते हैं। भारत की आवश्यकताओं, शक्तियों और विशेषताओं को विश्व तक पहुंचाने की जितनी क्षमता आपमें हैं, और किसी में नहीं है।

भारत के प्रति विश्‍व के नजरिए में परिवर्तन

आप लोग लंबे समय से अलग-अलग देशों में रह रहे हैं। आपने अनुभव किया होगा कि पिछले तीन-चार वर्षों में भारत के प्रति नजरिया बदल गया है। विश्व का हमारे प्रति नजरिया बदल रहा है, तो इसका मुख्य कारण यही है कि भारत स्वयं बदल रहा है। जब भी किसी देश की यात्रा करता हूँ, तो मेरा प्रयास होता है कि वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोगों से मिलूँ। मेरे इस प्रयास का सबसे बड़ा कारण है कि मैं मानता हूँ कि विश्व के साथ भारत के संबंधों के लिए यदि सही मायने में कोई स्‍थायी एंबेस्‍डर हैं तो वो भारतीय मूल के लोग हैं।

2020 के एजेंडे में प्रवासी भारतीयों का स्‍थान अहम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्‍मेलन में आए भारतीय मूल के सांसदों की तारीफ करते हुए कहा, ‘अपनी-अपनी कर्मभूमि में प्रगति के लिए आपके योगदान से भारत का नाम भी ऊँचा होता है। भारत के विकास के लिए हमारे प्रयासों में हम प्रवासी भारतीयों को अपना साझेदार मानते हैं। नीति आयोग ने 2020 तक का जो एजेंडा बनाया है, उसमें प्रवासी भारतीयों को विशेष स्थान दिया है।‘

सेवा की भावना हमारी पहचान

प्रधानमंत्री ने कहा ,भारतीय मूल के लोग विदेशों में एंबेस्‍डर हैं। मानवीय मूल्‍य हमारी परंपरा रही है। विश्‍व को हमारे बलिदान को मानना होगा। प्रथम और द्वितीय विश्‍व युद्ध में हमारे लाखों सैनिकों ने बलिदान दिया है। सेवा की भावना भारतीय पहचान है। यदि मैं राजनीति के बारे में बात करूं तो भारतीय मूल के मिनी विश्‍व संसद को अपने सामने बैठा हुआ देख रहा हूं। जब आप सबके बारे में जानकारी मिलती है कि किस तरह आप नीतियां बना रहे हैं, और विश्‍वपटल की राजनीति पर अपना प्रभाव छोड़ रहे हैं तो काफी गर्व महसूस करता हूं।

विदेश मंत्री की प्रशंसा में बोले पीएम

विदेश मंत्री की प्रशंसा करते हुए उन्‍होंने कहा, हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी न केवल भारतीय नागरिकों, बल्कि प्रवासी भारतीयों की समस्याओं पर दिन-रात नजर रखती हैं। उनके नेतृत्व में विदेश मंत्रालय ने कंसुलर मदद की रियल टाइम मॉनिटरिंग और प्रतिक्रिया के लिए “मदद” पोर्टल की व्यवस्था की है।

प्रवासी सांसद ने कहा- अब नहीं सुनाई देती घोटाले की आवाज

ब्रिटेन के हाउस ऑफ लार्ड्स के सदस्‍य राज लूंबा भी इस सम्‍मेलन में हिस्‍सा ले रहे हैं। लूंबा ने कहा, ‘भारत काफी तेजी से बदल रहा है और विदेशों में रह रहे लोग इसे पहचान रहे हैं। यदि हम एनडीए को उनके कार्यक्रमों को पूरा करने का मौका देते हैं तो भारत और बेहतर होगा। इससे पहले की सरकार के शासनकाल में हर दिन कोई घोटाला होता था लेकिन इस सरकार के शासन में मैंने किसी घोटाले के बारे में नहीं सुना है।’

न्‍यूजीलैंड के सांसद कंवलजीत सिंह ने इस कांफ्रेंस को बेहतरीन मौका बताया। उन्‍होंने कहा, ‘प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति सपोर्ट के लिए भारत की ओर देख रहा है। अंतरराष्‍ट्रीय राजनीति पर भारत का प्रभाव बढ़ा है।’

पीएम मोदी की भूमिका है विशेष

प्रवासी भारतीयों को विशेष उत्साह प्रदान करने और उन्हें भारत से जोड़ने का काम पहले भी हुआ है, लेकिन इस मामले में नरेंद्र मोदी की भूमिका खासी महत्वपूर्ण है। वह जिस भी देश जाते हैं वहां के प्रवासी भारतीयों के बीच अवश्य जाते हैं। हर वर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। इस वार्षिक दिवस के जरिए विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के नागरिकों का अपने देश में किए गए योगदान को दर्शाया जाता है।

विश्व मंच पर बढ़ी है भारत की अहमियत

यह प्रथम ‘पीआईओ- संसदीय कांफ्रेंस’ है और इसके माध्‍यम से सरकार द्वारा विदेशों में रह रहे भारतीय समुदाय तक पहुंच बनाने की कोशिश है। ऐसा इसके पहले कभी नहीं हुआ। जाहिर है कि इससे प्रवासी भारतीय भी भारत की ओर आकर्षित हुए हैं। उन्हें खुद को भारत से जोड़ने में इसलिए भी गर्व होने लगा है, क्योंकि हाल के समय में विश्व मंच पर भारत की अहमियत बढ़ी है।

लोगो के लिए प्रतियोगिता

विदेश मंत्रालय की ओर से एक प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया है जिसके तहत ऐसा लोगो डिजायन करना है जो इस प्रथम पीआइओ संसदीय सम्‍मेलन की भावना को बेहतर तरीके से पेश कर सके।