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कराची, रायटर्स। पाकिस्‍तान एक ‘ट्रेनिंग एंड एडवाइस मिशन’ के तहत अपने सैनिकों को सऊदी अरब भेज रहा है। सेना ने इसकी जानकारी दी, जिसने तीन साल पहले अपने सैनिकों को सऊदी के सैन्‍य अभियान के लिए यमन नहीं भेजने का फैसला किया था। हालांकि सऊदी अरब में पाक सैनिक किस तरह की भूमिका निभाएंगे, इस बारे में कुछ भी स्‍पष्‍ट नहीं है। मगर सेना की ओर से जारी एक बयान में जोर देते हुए कहा गया है कि उन्‍हें कहीं बाहर तैनात नहीं किया जाएगा।

फिलहाल पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ आतंकवाद के खिलाफ सऊदी नेतृत्व वाले नए इस्‍लामिक सैन्‍य गठबंधन की कमान संभाल रहे हैं। मगर यह स्‍पष्‍ट नहीं है कि भेजे जा रहे सैनिक इस गठबंधन का हिस्‍सा होंगे या नहीं। सऊदी अरब ने अपने सुन्‍नी-बहुल सहयोगी पाकिस्‍तान ने ईरान के शियाओं का प्रभाव कम करने के मकसद से यमन अभियान के लिए जहाजों, विमानों के साथ सैनिकों की मदद मांगी थी।

पाकिस्‍तान के संसद ने किसी सांप्रदायिक क्षेत्रीय शक्ति संघर्ष में फंसने से बचने के लिए इस मामले में तटस्‍थ रुख अपनाने को कहा था, क्‍योंकि देश की सीमा ईरान से सटी हुई ह‍ै और वहां बड़ी संख्‍या में शिया समुदाय के लिए लोग हैं।

पाक सैन्‍य विशेषज्ञ रिटायर्ड ब्रिगेडियर शौकत कादिर ने कहा कि सैनिकों को सऊदी अरब भेजने को लेकर पिछले कुछ समय से बातचीत चल रही थी। मगर अब इस बारे में फैसला ले लिया गया है। उन्‍होंने कहा कि सऊदी अरब में इस्‍लामिक तीर्थ स्‍थलों की सुरक्षा के लिए पहले से करीब 750-800 पाकिस्‍तान सेवाकर्मी हैं, मगर वे युद्ध करने वाले सैनिक नहीं हैं।