नई दिल्ली, 19 मई 2021

कोरोना वायरस महामारी के बीच दुनिया कई और प्राकृतिक घटनाओं की गवाह बन रही है। इस साल यानी 2021 का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण 26 मई को दिखाई देगा जब चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाएगी। इस खगोलीय घटना को दुनिया के कई देशों से देखा जा सकता है। बता दें कि पिछले महीने ही पूरी दुनिया ने पिंक सुपरमून देखा था जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थीं। अगल सप्ताह दूसरा सूपरमून और भी रोचक होने वाला है।

कब होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण

बता दें कि पूर्ण चंद्र ग्रहण उस समय होता है जब चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है। इस बार का पूर्ण चंद्र ग्रहण इस वजह से भी खास है क्योंकि चांद धरती के इर्द-गिर्द अपनी कक्षा में पृथ्वी के सबसे करीब होगा, ऐसे में वह बहुत बड़ा भी दिखाई देगा। अगले हफ्ते दिखने वाले सुपरमून पर ग्रहण भी लगेगा जिससे यह न सिर्फ आकार में बड़ा बल्कि और भी ज्यादा लाल नजर आएगा। यह नजारा 26 मई की रात देखा जा सकता है।

26 मई को दिखेगा सुपर ब्लड मून

बुधवार, 26 मई को ब्लड मून और सुपर मून के साथ पूर्ण चंद्र ग्रहण भी देखने को मिलेगा। यह खगोलीय घटना अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए बेहद खास होने वाला है। जब पृथ्वी सीधे चंद्रमा और सूर्य के बीच स्थित होती है तब पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चांद काफी लाल नजर आता है। ब्लड मून चांद का नाम इसकी लाल चमक के लिए रखा गया है। एक सुपरमून सामान्य से बड़ा दिखता है क्योंकि चांद पृथ्वी के करीब होता है। ग्रहण सबसे अच्छा पश्चिमी भारत, श्रीलंका, पश्चिमी चीन और मंगोलिया में देखा जा सकता है। श्रीलंका में स्थानीय समय के अनुसार शाम 6:23 के बाद से ब्लड मून देखा जा सकता है यह शाम 7:19 बजे समाप्त होगा।

लाल रंग का नजर आएगा चांद

ऑकलैंड विश्वविद्यालय के भौतिकी के वरिष्ठ व्याख्याता निकोलस जेम्स रैटनबरी ने कहा कि ब्लड मून ग्रह संरेखण और बिखरे हुए सूर्य के प्रकाश के कारण हुआ था। जब ग्रहण अपने चरम बिंदु पर होता है तो सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा लगभग एक सीध में होते हैं। इस दौरान इसलिए पृथ्वी की छाया चंद्रमा की सतह पर गिरती है। चंद्रमा के पृथ्वी के करीब परिक्रमा करने के साथ ग्रहण लगने पर यह रंगीन भी नजर आ सकता है।

क्यों दिखाई देता है लाल चांद?

डॉ रैटनबरी ने कहा, 26 मई को पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान आप को प्रतीत होगा कि चंद्रमा लाल हो गया है, लेकिन चांद वास्तव में लाल नहीं होगा। इस स्थिति में सूर्य से प्रकाश आंशिक रूप से पृथ्वी के वायुमंडल से गुजर कर चांद पर बड़ता है जिससे वह लाल दिखाई देता है। जब सूर्य की रोशनी पृथ्वी से होकर गुजरती है तो नीली रोशनी हमारी वायुमंडल में फैल जाती है जिससे आसमान नीला प्रतीत होता है, वहीं, सूर्य की लाल रोशनी वायुमंडल से गुजरती रहती है और लेंस की तरह चंद्रमा की सतह पर झुक जाती है।