स्मार्ट फेंसिंग

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और पाक आर्मी लगातार सीमा के उस पार से लॉन्च‍िंग पैड के जरिये आतंकियों की घुसपैठ कराने में जुटा हुआ है। पाकिस्तान घुसपैठ कराने के लिए हर चाल चल रहा है, तो इस घुसपैठ को रोकने के लिए भारत भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है। इसीलिए इंटरनेशनल बॉर्डर की सुरक्षा कर रही बीएसएफ ने स्मार्ट फेंसिंग लगाने का काम जम्मू से शुरू कर दिया है।

पाक से सटे भारत की 3,323 किमी तक फैली सीमा पर सख्त सुरक्षा व्यवस्था पर जोर देते हुए सरकार ने सीमा पर लगे बाड़ों को तकनीक से लैस करने के प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने का काम शुरू कर दिया है। कॉम्प्रिहेंसिव इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम (CIBMS) के तहत भारत, पाकिस्तान के बॉर्डर को इजरायल की तर्ज पर सुरक्षित करने का काम शुरू हो चुका है। स्मार्ट फेंसिंग के साथ-साथ ,नदी नालों के इलाके में लेज़र वॉल भी लगाई जा रही है। इसके साथ ही अंडरग्राउंड सेंसर्स व कैमरे से निगरानी की भी व्यवस्था की जा रही है।

5 स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के जरिये गृह मंत्रालय भारत-पाकिस्तान बॉर्डर को पूरी तरह से घुसपैठ से रोकने के लिए सील करना चाहता है। इसी के तहत बीएसएफ के टेकनपुर अकादमी में कई महीने तक स्मार्ट फेंसिंग की नई-नई तकनीकों की टेस्टिंग की गई, जिसके बाद स्मार्ट फेंसिंग को लगाने की पहली शुरुआत जम्मू के भारत-पाकिस्तान इंटरनेशनल बॉर्डर से शुरू कर दिया गया है।

चार राज्यों से गुजरती है भारत-पाक सीमा-
पठानकोट हमले के बाद अप्रैल 2016 में पूर्व केंद्रीय गृह सचिव मधुकर गुप्ता की अध्यक्षता में गृह मंत्रालय द्वारा कमेटी का गठन हुआ था। कमेटी ने सीमा पार से आतंक निर्यात को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था में तकनीकी जरूरतों का प्रस्ताव रखा था, जिस पर उड़ी आतंकी हमले के बाद सहमति की मुहर लगायी गई थी। पाकिस्तान के साथ भारत की सीमा चार राज्यों, जम्मू-कश्मीर (1,225 किमी, एलओसी समेत), राजस्थान (1,037 किमी), पंजाब (553 किमी) और गुजरात (508 किमी) से गुजरती है, जिसमें सभी जगहों पर घुसपैठ को रोकने के लिए सरकार बड़ा कदम उठा रही है। इसके लिए काम भी शुरू हो चुका है।

स्मार्ट तरीके से तैनात होंगे सीमा पर जवान-
स्मार्ट फेंसिंग के साथ ही आने वाले समय में सुरक्षा बलों की स्मार्ट तैनाती पर भी काम किया जाएगा। मधुकर कमेटी ने कहा था कि स्मार्ट फेंसिंग से जवानों की मदद तो होगी ही पर इसके साथ ही घुसपैठ के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की संख्या बढ़ायी जानी चाहिए। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार जहां 100 जवानों की तैनाती की जरूरत है, वहां 100 की तैनाती होगी और जहां कम जवानों में ही काम चल सकता है, वहां जवानों की संख्या घटाई जाएगी।