फरीदाबाद। फरीदाबाद में एक बच्चे के साथ भयानक हादसा हो गया। ‘फर्राटा’ पंखे के साथ खेल रहे एक दो साल के बच्चे के साथ कुछ ऐसी दुर्घटना हुई कि देखने वाला हर व्यक्ति अंदर से हिल गया। पंखा गिरने की वजह से ब्लेड बच्चे की खोपड़ी में तीन सेंटीमीटर तक घुस गई। बच्चे की जान बचाने के लिए तीन घंटे तक सर्जरी चली। फरीदाबाद स्थित फोर्टिस अस्पताल के बयान के अनुसार, पंखे की ब्लेड 30 सेंटीमीटर लंबी थी, उससे बच्चे के सिर में गंभीर चोट लगी। सर्जरी में बच्चे के जीवन पर भी खतरा था।

बेहाश अवस्था में अस्पताल आया था मासूम

अस्पताल की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, डॉक्टरों को तीन घंटे तक चली जटिल सर्जरी में बच्चे की खोपड़ी में तीन सेंटीमीटर तक घुसे पंखे के ब्लेड को निकालने में सफलता मिली है। अस्प्ताल के सलाहकार, न्यूरोसर्जरी नीतीश अग्रवाल की अगुवाई में डॉक्टरों ने सर्जरी की। बच्चे को 17 फरवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस समय वह बेहोश अवस्था में था। उसके घाव से मस्तिष्क मेरु द्रव रिस रहा था।

पंखे का ब्लेड निकालने को हड्डी की गई ड्रिल

हैरान कर देने वाले हादसे में मासूम का इलाज करना चिकित्सकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। डॉक्टरों ने बच्चे के बाएं ललाट पर क्रैनियोटॉमी सर्जरी की। मस्तिष्क को खोलने के लिए खोपड़ी की हड्डी को ड्रिल किया गया। ताकि पंखे के ब्लेड को निकाला जा सके। सर्जरी के बाद बच्चे को पीडियोट्रिक आईसीयू में रखा गया था। डॉक्टरों ने बच्चे को सात दिनों तक एंटीबायोटिक्स दवाओं पर रखा, ताकि संक्रमण न फैले। डॉ. नीतीश अग्रवाल के मुताबिक बच्चे के दिमाग के बाएं हिस्से में पंखे की ब्लेड घुसी थी। सर्जरी में बच्चे की बोली पर असर का खतरा था। सर्जरी की सभी प्रक्रियाएं सावधानी से की गईं।

सर्जरी के दौरान था ये खतरा

सर्जरी के दौरान ​दिमाग में रक्तस्राव होने, क्लाट बनने और संक्रमण का भी खतरा था। सभी खतरों का आंकलन करने के बाद चिकित्सकों की टीम ने दिमाग की हड्डी को ड्रिल किया और पंखे का ब्लेड हटाने की कोशिश की। बच्चे की उम्र काफी कम थी। इसलिए भी यह सर्जरी काफी जटिल थी। पर डॉक्टरों ने अपनी सूझबूझ से सर्जरी कर मासूम का जीवन बचा लिया।