मथुरा: विश्व प्रसिद्ध ब्रज के रंगोत्सव के मौके पर इस बार जिला कारागार में बंद 6 कैदियों द्वारा हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है। हर्बल गुलाल इको फ्रेंडली होने के साथ ही आपकी त्वचा पर भी इसका नुकसान नहीं होगा। बता दें कि मथुरा जेल प्रशासन कैदियों को हर बार कुछ नया सिखाने की कोशिश करता है। वहीं इस पहल से जेल के कैदी भी आत्मनिर्भर बनाए जा रहे हैं। कौशल विकास मिशन के माध्यम से प्रदेशभर में बने कारागारों के कैदियों को स्वावलंबी बनने की ट्रेनिंग जी जा रही है। जेल में कैदियों द्वारा अरारोट में सब्जियों को मिलाकर हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है।

आम लोगों को भी मिलेगा हर्बल गुलाल

प्राप्त जानकारी के अनुसार, हर्बल गुलाल तैयार करने के लिए अरारोट में पालक को पीसकर हरा रंग बनाकर तैयार किया जा रहा है। इसी तरह मेथी को पीसकर हल्का हरा रंग, चुकंदर से लाल रंग और हल्दी से पीला रंग बनाया जा रहा है। वहीं इस गुलाल को अच्छा और खुशबूदार बनाने के लिए इसमें इत्र भी मिलाया जा रहा है। मथुरा जेल अधीक्षक ब्रजेश कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि हर वर्ष होली के त्यौहार में कई कुंतल रंग बनाया जाता है। वहीं इस बार जेल में बंद कैदी सोनू, सनी, रिंकू, अशरफ, विजय, हरेंद्र सिंह हर्बल गुलाल तैयार कर रहे हैं। बता दें कि जिला जेल में बन रहे गुलाल को आम लोगों तक भी पहुंचाया जाएगा। जेल प्रशासन द्वारा इसका भी इंतजाम किया गया है।

कैदी पहले भी दिखा चुके हैं क्रिएटिविटी

जेल अधीक्षक के मुताबिक कैदियों द्वारा बनाए जा रहे गुलाल पर करीब 180 रुपए प्रति किलो की लागत आ रही है। इस हर्बल गुलाल की 200 रुपए किलो के हिसाब से बिक्री की जाएगी। जेल के मुख्य द्वार पर बिक्री के लिए 100-100 ग्राम गुलाल के पैकेट उपलब्ध रहेंगे। जेल के कैदियों से यह काम करवाकर उन्हें आत्म निर्भर बनाया जा रहा है, जिससे जेल से छूटने के बाद वह अपने परिवार के पालन पोषण के साथ ही समाज के बीच अच्छा व्यवहार करें। ऐसा पहली बार नहीं है, जब यूपी की जेलों में बंद कैदी इस तरह की क्रिएटिविटी दिखा रहे हैं। इससे पहले कैदियों ने श्री कृष्ण जन्माष्ठमी पर भगवान की पोशाक, रक्षाबंधन पर इको फ्रेंडली राखी भी बनाते हैं। मथुरा जिला कारागार में वर्तमान में करीब 1700 कैदी बंद हैं।