rohingya muslims

नई दिल्ली : म्यांमार से भाग कर आये लगभग 4 लाख से भी ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान देश में अवैध रूप से रह रहे हैं सुरक्षा कारणों के लिहाज से ये चिंताजनक बात है। इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये ज़ाहिर करते हुए बताया है कि इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से ये बेशक चिंताजनक बात है मगर हम आर्थिक और सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मानवता को दरकिनार नहीं कर सकते हैं।

हमारा कानून मानवता पर है टिका supreem court

हमारा संविधान खुद मानवता बुनियाद पर टिका है। इसलिए हमे इन अवैध प्रवासियों के कड़े इंतजाम के बारे में भी ज़ोर देना चाहिए नाकि सभी की तरह इनसे अपना पीछा छुड़ाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तलब करते हुए कहा कि जब तक इसका फैसला नहीं आ जाता तब तक इन रोहिंग्या मुसलमानों देश से बाहर नहीं भेजा जाए। बता दें कि इसकी अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी। तब तक सरकार रोहिंग्या मुसलामानों पर बाहर जाने का दबाव ना बनाये।

मोदी को खत लिखकर की गयी थी अपील modi

बता दें कि रोहिंग्या मुसलमानों के पक्ष में देश के कई दिग्गज हस्तियों ने पीएम मोदी को खत लिखकर इन्हे वापस ना भेजने की अपील की गयी थी। पीएम मोदी को भेजे इस खत में म्यांमार में रोहिंग्या मुसलामानों के खिलाफ हो रही बर्बर हिंसा और अत्याचारों का हवाला देते हुए पीएम मोदी से अपील की गई कि उन्हें भारत में रहने दिया जाए।

दिग्गज हस्तियाँ उतरी थी रोहिंग्या मुसलमान के सपोर्ट में rohingya muslims

इस खत पर मशहूर वकील प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, सांसद शशि थरूर, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, ऐक्टिविस्ट तीस्ता शीतलवाड़ , पत्रकार करन थापर, सागरिका घोष, अभिनेत्री स्वरा भास्कर समेत कुल 51 मशहूर हस्तियों ने हस्ताक्षर किए हैं।

केंद्र सरकार नें बताया है इन्हें खतरा rohingya muslims

इससे पहले केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट को कुल 16 पन्नों का हलफनामा ज़ारी करते हुए रोहिंग्या मुसलमानों को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया था। केंद्र सरकार ने ये भी साफ़ किया था कि इन अवैध प्रवासियों को देश में बसाना सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक स्तर के लिए भी नुक्सानदेह है।रोहिंग्या शरणार्थियों ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार के कदम को समानता के अधिकार के खिलाफ बताया है उन्होंने कहा है कि हम गरीब हैं और मुसलमान हैं, इसलिए उनके साथ ऐसा किया जा रहा है। हम सरकार से अपील करते हैं कि हमें भी इस देश में रहने का अधिकार मुहैया कराया जा सके .