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बदायूं , यूपी में भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के साथ लगातार छेड़छाड़ और क्षतिग्रस्त होने की खबरों के बीच अब मूर्ति के रंग में बदलाव सुर्खियों में है। यूपी के बदायूं जिले में लगी आंबेडकर की मूर्ति का रंग बदलकर नीला से भगवा कर दिया है। अक्सर कोट और ट्राउजर में दिखने वाले आंबेडकर की मूर्ति को भगवा रंग की शेरवानी पहनाई गई है।

बता दें कि बदायूं के कुवरगांव पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले दुगरैया गांव में शनिवार सुबह आंबेडकर की मूर्ति को नुकसान को पहुंचाया गया था। अब इसी मूर्ति की मरम्मत के बाद इसका रंग बदलने से कई दलित संगठनों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के बदायूं जिले के अध्यक्ष भारत सिंह जाटव ने कहा, ‘आंबेडकर की प्रतिमा में उनके कोट का रंग बदलने से समुदाय के लोग गुस्से में है।’

वह आगे कहते हैं, ‘हमने उनकी तस्वीरें और मूर्ति अक्सर गहरे रंगों, वेस्टर्न आउटफिट- ब्लेजर और ट्राउजर्स में देखी है। इसलिए भगवा रंग अजीब है। इसे दोबारा पेंट किया जाना चाहिए।’

हालांकि बाबा साहब आंबेडकर की मूर्ति को माला पहनाते वक्त पूर्व जिलाध्यक्ष क्रांति कुमार और डीएसपी वीरेन्द्र यादव के साथ बीएसपी के जिलाध्यक्ष हेमेंद्र गौतम भी मौजूद थे। अखिल भारतीय खटिक समाज के स्टेट जनरल सेक्रटरी वीरू सोनकर ने कहा, ‘राज्य सरकार के आंबेडकर के नाम के साथ ‘रामजी’ जोड़ने के आदेश के तुरंत बाद उनकी मूर्ति का रंग बदलकर केसरिया कर दिया गया। हमारे संस्थान की स्थानीय इकाई मूर्ति का रंग बदलने की निंदा करते हुए बदायूं के डीएम को ज्ञापन सौपेंगी और इसका रंग बदलकर नीला किए जाने की मांग करेगी।’
बदायूं के दातागंज से दो बार विधायक रह चुके पूर्व बीएसपी विधायक सिनोद शाक्य का कहना है, ‘राज्य की कई इमारतों को भगवा रंग करने के बाद अब बीजेपी सरकार आंबेडकर की मूर्तियों का भगवाकरण करना चाहती है, यह स्वीकार नहीं है। अगर मूर्ति का रंग नीला नहीं किया गया तो हम जिला प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।’ उन्होंने मूर्ति को तोड़ने में शामिल लोगों की गिरफ्तारी की मांग भी की है।

आंबेडकर को लेकर राजनीति जारी
शनिवार की घटना के बाद एक स्थानीय निवासी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है जो अभी फरार है। इससे पहले यहां 2014 में भी आंबेडकर की मूर्ति तोड़ी गई थी। इन दिनों उत्तर प्रदेश में आंबेडकर को लेकर राजनीति गर्मायी हुई है। कई जगह बीआर आंबेडकर की मूर्तियां तोड़ने के मामले सामने आए। फिर राज्य सरकार द्वारा बीआर आंबेडकर के नाम पर रामजी जोड़ने के फरमान भी सुना दिया। इसके बाद मूर्ति के रंग में बदलाव राजनीति को नई दिशा में ले जा रहा है।